पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं -दुष्यंत कुमार
Wednesday, 26 December 2018
दिसम्बर और मैं !
Sunday, 9 December 2018
मुझे तुम ब्लॉक तो कर सकती हो पर डिलीट नहीं || लघुकथा || रवि आनंद
दिल तो मेरा आज भी नहीं टूटा है हां, मन जरुर टूटा है । मन और दिल का टूटने में काफी फर्क होता है । मन टूटने के केस में आप किसी से चाह कर भी घृणा नहीं कर सकते । वैसे प्रेम का कोई ब्रेकअप नहीं होता है ... ये अनन्त समय तक चलने वाली प्रकिया है । कोई आए ..जाए परन्तु वो दफ़्न हुई एहसास कभी मरती नहीं , ठीक आत्मा की तरह । कहीं दिखती नहीं , विलुप्त हो जाती है ।
Sunday, 25 November 2018
दर्द अपना सुकून पराया है | रवि आनंद
दर्द अपना सुकून पराया है
ना जाने क्यूँ मैंने हर दर्द में कोई सुकून पाया है
घुटन सी हो रही है मुझे
सांस तो चल रही है लेकिन
मर के जीना तो उसने ही सिखाया है
रिश्ता कहाँ कोई था
शायद ये रूह ने उसे महसूस किया होगा
यूँ दर्द के बाद सुकून की एहमियत तो उसने ही बतलाया है
वो किसी और का है या होगा
उससे क्या तालुख अपना
एहसास में ढूंढना अब उसे
ये इल्म कोई ख़ास क्या कहें उसका
सब उसीने ही सिखाया है
रवि आनंद
हम ''हम'' ना हो सके | The koshish | Ravi Anand
बस मोहब्बत ही आपस में बे-हिसाब कर सके
बस रूह से मिले , जिस्म की ज़रूरत को ना समझ सके
ज़िन्दगी अब बस जीना सा लगता है
सांस तो चलती है पर रोना सा लगता है.....
हां मैं छोड़ ही रही हूं | लघुकथा
हां तो क्या हुआ , तुम बता रही थी की कहीं बात चल रही है , वो बात कहाँ तक पहुँची ?
तुम्हें ज्यादा जानकारी चाहिए तो पापा का नम्बर देती हूं मैं फोन मिला लो , पूरी जानकारी मिल जएगी।
अरे यार तुम गुस्सा जाती हो ,यदी मुझे तुम्हारे पापा को फोन करने का हिम्मत होती तो ये बात चलने की नौबत ही क्यूं आती , तुमने खुद ही बताया था तो मैंने सोचा पूछ लूं कि कार्य कि प्रगति कितनी हुई है। चलो छोड़ो जो भी ......
हां मैं छोड़ ही रही हूं ....
किसको ?
अरे यार ज्यादा मुझसे सवाल जबाब मत करो ... तुमको छोड़ रही हूं , अब समझे ?
नहीं ... कुछ बातों को मैं कभी भी नहीं समझना चाहता और ना ही मैं समझूंगा... और तूम मुझे बस स्व-शरीर ही छोड़ सकती हो , तुम ज़िन्दगी में भले नहीं रहोगी मेरी पर तुम मेरी ज़िन्दगी आज भी हो और... तुम मेरी ज़िन्दगी हमेशा रहोगी ।
रवि आनंद
Thursday, 22 November 2018
यादों का सूटकेस | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
तुम गए मगर
गए नहीं ठीक से ......
तुमनें यादों का , प्यार का , जज़्बात का , दुलार का ना जाने कितनी स्मृतियों को मेरे मन के सूटकेस में बंद कर के चले गए।
कमाल हैं ना ! तुम्हें तो ठीक से जाना भी नहीं आता है कितनी Care less हो यार तुम, ऐसे कौन जाता है ?
अब मैं क्या तुम्हारी यादों से भरे सूटकेस में जो यादों के जो नोट हैं उसे खुल्ले करवाऊं क्या ? बताओ ना तुम , बताओ है क्या कोई जबाब तुम्हारे पास ?
जाती तो ठीक से जाती ना ...
ये तो वो यादों के नोट हैं जिसके खुल्ले कभी भी खत्म नहीं होगें, कभी भी नहीं ।
रवि आनंद
Thursday, 1 November 2018
The second chapter! ❤ | The Koshish
The second chapter!
I'm like the fragrance of a new book, now you have an idea about the subjects. The first chapter is co-related with the second and this is obvious. Now you are familiar with the book.
In the first chapter, I have told you everything it looks like more than the beautiful. Now the book of love, the second chapter is about to open. It is very obligatory to maintain patience in between the moment but who cares. Theoretical imagination force you to for practical practice.
But remember the golden rules for clearing concepts Theory is more important than practical. yes, it maybe be irritating but underline some important points with the help of Pink colour highlighter. ( pink for citation )
But here is your actual test. What did you see perhaps this could be not a love, this could be an attraction also. Love is not so easy as we think. I don't believe in this fuc*** quotes " Love is blind'', you have two eyes. This type of cinematic thoughts is not realistic nor practical in real life. In the prelusive stage, the feeling is variable like market equilibrium it maybe changes as per the circumstances of the current scenario.
Friendship is the first stage of love and relationship, if you dream for a Girlfriend, first start with only Girl Friend, not a Girlfriend. here, if you will understand the difference between the both syllable ( i.e. space or without space ) your dream will comes true.
Remember! Don't update the status of your timeline of heart too immediately instead save it in the draft of your heart. Re-update when it become mature.
Ravi Anand
Thank you for reading 😊
Next chapter is coming soon!
Tuesday, 30 October 2018
The first chapter! ❤ | The koshish
The first chapter!
It doesn't matter which book you are reading, in which class you are in, in which course you have taken the admission, the first chapter of every book is quite easy to understand almost.
It is all about Introduction. Don't worry readers I'm not talking about any books, I'm just giving you a citation easy to understand.
Love, yes Love, love is essential for living. Directly and indirectly, we all need love. Without love and affection, it couldn't be possible to survive happily.
Honestly, remember your first love. This is just like the first chapter of your book ... relatively easy to understand. It doesn't matter you are studying Course like UPSC or CA. The first chapter of your course and syllabus of love is just like that. After reading the first chapter, being a student of any courses at moment you will start thinking impossibility is a myth, and here you are in the trap of baffling. Same things are also applicable in case of love.
Hair to the eye, eye to lips and lips to smile and everything looks more than beautiful. Your imagination at its best. Uff! what a feeling impossible to explain with the help of words.
Ravi Anand
( The second Chapter! ❤ coming soon )
Friday, 14 September 2018
किसी के जन्मदिन के दिन हैप्पी बर्थडे की जगह जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं बोल के जन्मदिन की बधाई दें 😊
तुम मम्मी को माँ बुलाते हो ?
हां , मैं माँ को माँ ही बोलता हूं 😊
माँ , को मम्मी भले रिप्लेस कर रही हो पर जो सुकून हिन्दी में माँ बोलने में है वो मम्मी बोलने में शायद नहीं हैं । इस पर सब का अपना अपना मत हो सकता है।
हिन्दी भाषा में ममत्व (ममता) , मोह बहुत है जो अन्य भाषाओं में शायद ही इतना है। अब देखये माँ शब्द के उच्चारण मात्र में कितना भाव है , कितना प्रेम है , कितना लगाव है। माँ शब्द ही भावना है।
भारत माता की जय बोलने में जब कुछ विशेष लोगों को आपत्ति होती है तो मुझे बहुत पीड़ा महसूस होता है माता अर्थात माँ , हमारे गांव के किसान धरती को भी धरती माँ बुलाते है क्योंकि उनका रोजी रोटी पेट वही धरती रूपी माँ से भरती है इसलिए वो धरती को माँ बुलाते हैं। भारत हमारी जन्म भूमि है , कर्म भूमि है इससे हमे लगाव है , मोह है इसलिए हम इसे मातृ ''माँ'' तुल्य मानते है। अब अपने जन्म भूमि को माँ बोलने में भला कोई धर्म को कैसे छति पहुँच सकती है ये सवाल मेरे मन में बार बार उठता है।
मैंने माध्यमिक स्तर की पढ़ाई हिन्दी माध्यम के विद्यालय से किया है , मुझे छुटपन के दिनों से हिन्दी लेखनी में रूचि रही है मैं जब विद्यालय में पढ़ता था तो उस समय अंग्रेजी पढ़ाने केलिए शिक्षक पहले हिन्दी का ही उपयोग करते थे जिसे ट्रांसलेट इंटो इंगलिश कहाँ जाता था अर्थात अनुबाद । इस विधि का उपयोग पहले से अब कम हुआ है।
भारत में खास कर के बड़े शहरों में लोगों को हिन्दी आते हुए भी हिन्दी बोलने में उन्हें संकोच होती है वो शर्माते हैं।
ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत में मनुष्य की बुद्धि का मापने का तरीका अंग्रेजी है ना की कोई और भाषा । इससे बड़ी शर्म की बात औऱ क्या हो सकती है इस देश केलिए । इस आजाद देश के बहुत सारे लोग बस स्व शरीर यहाँ हैं पर उनका आत्मा अभी भी पश्चिम की ओर ही लटकी हुई है। तन कहीं और मन कहीं ।
अंत में बस यही कहना चाहूंगा कि शुद्ध , अशुद्ध जो भी हो निसंकोच हिन्दी बोलें , लिखें ।
किसी के जन्मदिन के दिन हैप्पी बर्थडे की जगह जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं बोल कर जन्मदिन की बधाई दें , व्हाट्सएप संदेश में भी यही संदेश लिखें ... ये बोलने में हैप्पी बर्थडे की तरह औपचारिकता नज़र नहीं आती है बल्की प्यार , आशीर्वाद और शुभकामनाएं नज़र आती है।
मैं हिन्दी खूब अशुद्ध लिखता हूँ , बोलता हूँ और आज मैं अशुद्ध लिखने केलिए माफी नहीं मानूंगा 😊😊😊😊
रवि आनंद
Wednesday, 5 September 2018
उसके बिना उसका कोई सफ़र मुकम्मल नहीं है | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
नाव के माफ़िक आँखो की दोनो पुतलियां नोर से तैर रही हैं
वो पुकार रही है चिल्ला रही है खामोशी से
वो जो बोल रही है बस वो सुन रही है और उसकी खामोशी उसे सुन रही है ।
चलने की तो वो कोशिश तो कर रही है पर उसके बिना उसका कोई सफ़र मुकम्मल नहीं है चल तो रही है पर वो उसके बिना पहुंच नहीं रही है ।
भूलने की कोशिश में वो उसे बहुत करीब पा रही है , भूलने की कोशिश तो वो बहुत खूब कर रही है पर कामयाबी उसे मिल नहीं रही है ।
नफ़रत की गुंजाइश शायद वो शख्श ने कुछ छोड़ा नहीं है , लगता है
चाह कर भी कोई कैसे नफ़रत करे कोई किसे ?
इश्क़ क़ामिल हो तो बदन का एक होना जरूरी नहीं है , वो अपने आप से ये केह रही है दिल को बहला रही है।
रवि आनंद
Thursday, 30 August 2018
राजीव चौक | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
Friday, 24 August 2018
Tuesday, 5 June 2018
एक खत अरिजीत सिंह के नाम | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
प्रिय अरिजीत सिंह ,
आप हर दर्द की मरहम हो , हर मर्ज की अर्ज हो , आप की गीत , गीत ही नहीँ आज की यूथ केलिए दवा है , उसकी भावना है।
इक्कसवीं सदी के प्रेम को आपने बखूबी समझा है , प्रेम "तुम ही हो " से शुरू होती है और " चन्ना मेरेया " पे जा के ख़त्म हो जाती है ।
"हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते तेरे बिना क्या वजूद मेरा" शुरुवात है तो .. " महफ़िल में तेरी हम ना रहे तो गम तो नहीं है , चर्चे हमारे नजदीकीयों के कम तो नहीं है '' और ये दिल की तस्सली है।
आपकी आवाज प्यार औऱ ब्रेकअप दोनो में साथ देती है।
प्लेलिस्ट आपके गाने के बिना अधूरा है , आपको किसी भी मूड में सुना जा सकता है , आपके गाने की आपके आवाज की सबसे बड़ी यही खूबी है। पार्टी में भी आपके गाने फिट हैं , ... कुड़ी नशे सी चढ़ गईं ए..... और दिल के टूटने पर ख़ैर आपकी गीत और आपकी आवाज की कोई जबाब ही नहीं है।
जब लगता है किसी को की उसकी कहाँनी अधूरी रह गई तब भी आपको ही सुनता है , " पास आए दूरियां फ़िर भी कम ना हुई , एक अधूरी सी हमारी कहाँनी रही " ।
जब किसी को लगता है कि इश्क़ करना खता है , तब भी आपका गया हुआ गाना उसे याद आजाता है " जीने भी दे दुनिया मुझे दुनिया मुझे इल्जाम ना लगा एक बार तो करते हैं सब कोई हँसी खता " । आपकी आवज हर मूड केलिए फिट है ।
इस सब के बीच जो आपके लिए गीत लिखते हैं उनका तहे दिल से शुक्रिया , उनका भी मेहनत उतना ही है ।
मिला जुला के देखा जाय तो दिल किसी का भी टूटे , फायदा आपका ही है , हमेशा महफ़िल आप ही लूट के ले जाते हैं ।
आपका जबरा फैन
रवि आनंद
Saturday, 19 May 2018
ॐ अथ श्री ब्लॉक कथा | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
गुस्से वाली स्माइली के साथ 😀😂😳😈😠😡
प्रदर्शित चित्र ( D P ) भी नहीं दिख रहीं होती है , मैसेज तो कर रहें है पर उसमे एक ही टिक हो रहा है , परेशान हैं ।
या ये कहें कि प्रेम और सम्बन्ध टाइपोग्राफिकल हो गया हैं , इक्कीसवीं सदी में इज़हारे मोहबत बहुत ही इंस्टेंट है । लास्ट सीन पर सब कुछ निभर करता हैं , लास्ट सीन सबसे खतरनाक अविष्कार हैं ये कहें तो कोई गलत नहीं होगा । झगड़ा की जड़ की शुरूवात व्हाट्स एप्प पे यही से शुरू होता है।
कि तुम आए थे पर मुझे कोई मैसज नहीं किया
Thursday, 12 April 2018
जैसे मैं कोई सड़क हूँ !
और कोई काम नहीं है क्या तेरा ?
कभी भी आजाती हो बिना बताए
पहले से तो कुछ बताया करो ना की तुम आने वाली हो पर नहीं
आज से मैं कमरे के अंदर से ताला लगा कर रखूंगा तुम आवारा हो गई हो ए " यादें " कभी भी मन हुआ तुम आजाती हो टहलने जैसे मैं कोई सड़क हूँ ।
Wednesday, 21 March 2018
रात को यादें जवान होती है | लघुकथा
रात के बारह बज रहे हैं ,स्ट्रीट लाइट की रौशनी खिड़की से घर में झांक रही है , चाँद भी जाग रही है , तारे भी टिमटिमा रही हैं और मेरा मन भी किसी के एहसासों को ढूंढ़ने में व्यस्त है।
सबको कुछ ना कुछ काम मिल जाता है इस दुनियां में ,काम तो काम होता है और उसे करना ही होता है, ज़िन्दगी का सत्य यही है। मैं भी जो कर रहा हूँ वो काम ही है , अनुभव ही है।
जो काम मैं कर रहा हूँ ये थोड़ा अलग है , मतलब इसमे वो हासिल होता है जिसको आप ना तो बैंक में रख सकते हैं और ना ही अपने पॉकेट के पर्स में । मैं हर रात ये काम को चैन से करता हूँ और बहुत सुकून मिलता है मुझे ।
तकिये से मुँह छुपाना , कान में ईअर फोन लगाना फ़िर कोई एक ही गीत को रिपीट मोड पर सुनना ।
मैं रात को खास कर जगजीत सिंह जी को सुनता हूँ , जब उनकी कोई ग़ज़ल को गाते हैं तो ऐसा लगता है यादें परत दर परत खुल रही हो ,यादों की एलबम की पेज दिमाग में अपने आप पलटने लगती है । यादें जवान होने लगती है ।
तकिये का नींद से झगड़ा हुआ सा नज़र आता है मुझे , हर रात ,क्यूंकि बेचारी पर मैं सर नहीं उसमे मैं मुँह छुपा के सोता हूँ , आँखो से बारिश भी होती हैं ये बात तो बस मेरे तकिये को पता है।
शायद अब तीन बजने वाले हैं पर नींद का कोई अता पता नहीं है
चाँद भी सूरज का इंतजार कर रही है , और मैं नींद का , और नींद में ख़्वाब का , खाव्ब में उसके दीदार का ।
रवि आनंद
पहले सिद्ध करो बे !
भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...
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आज शाम से फ़िर यादें जवान है , हर गीत के अल्फ़ाज़ों में उनको ढूंढना जारी हैं , कलम से कागज पर हर एक शब्द में उनकी एहसास को उतारी जा रही है ,...
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दिल के टाइमलाइन पर तुम्हारी तस्वीर ऐसे टैग हो गई है जैसे आसमा में चाँद। काश मैं तुम्हें रिमूव कर पाता ,अन-इनस्टॉल कर पाता । प्रेम के आगे व...
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तुम मम्मी को माँ बुलाते हो ? हां , मैं माँ को माँ ही बोलता हूं 😊 माँ , को मम्मी भले रिप्लेस कर रही हो पर जो सुकून हिन्दी में म...