दर्द अपना सुकून पराया है
ना जाने क्यूँ मैंने हर दर्द में कोई सुकून पाया है
घुटन सी हो रही है मुझे
सांस तो चल रही है लेकिन
मर के जीना तो उसने ही सिखाया है
रिश्ता कहाँ कोई था
शायद ये रूह ने उसे महसूस किया होगा
यूँ दर्द के बाद सुकून की एहमियत तो उसने ही बतलाया है
वो किसी और का है या होगा
उससे क्या तालुख अपना
एहसास में ढूंढना अब उसे
ये इल्म कोई ख़ास क्या कहें उसका
सब उसीने ही सिखाया है
रवि आनंद
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