Sunday, 9 December 2018

मुझे तुम ब्लॉक तो कर सकती हो पर डिलीट नहीं || लघुकथा || रवि आनंद

दिल के टाइमलाइन पर तुम्हारी तस्वीर ऐसे टैग हो गई है जैसे आसमा में चाँद। काश मैं तुम्हें रिमूव कर पाता ,अन-इनस्टॉल कर पाता । प्रेम के आगे विज्ञान भी अज्ञान है, नतमस्तक है।

दिल का टूटना वो अलग बात होती है ... जिसमे एक दूसरे को लोग धोका टाइप देतें हैं , दरअसल अपना केस में ये बेसिक ऑफ हर्ट ब्रेक और ब्रेकअप वाला कॉन्सेप्ट नहीं था ।
दिल तो मेरा आज भी नहीं टूटा है हां, मन जरुर टूटा है । मन और दिल का टूटने में काफी फर्क होता है । मन टूटने के केस में आप किसी से चाह कर भी घृणा नहीं कर सकते । वैसे प्रेम का कोई ब्रेकअप नहीं होता है ... ये अनन्त समय तक चलने वाली प्रकिया है । कोई आए ..जाए परन्तु वो दफ़्न हुई एहसास कभी मरती नहीं , ठीक आत्मा की तरह । कहीं दिखती नहीं , विलुप्त हो जाती है ।

तुम कहाँ हो पता नहीं मुझे , तुम्हारा पता कहाँ है कुछ भी मुझे मालूम नहीं है ... पर कभी -कभी ये जरूर लगता है कि तुम बदल गई हो , हो सकता है कि तुम्हारी कोई मजबूरी होगी , (ये मजबूरी वाला बात मैं अपनी दिल कि तसल्ली के लिए बोल रहा हूँ ) । फेसबुक पर you can't reply this conversation. Leen more. सब कुछ बयान कर रहा है , बस इतना ही तो पूछा था कि कैसे हो ? एक जबाब कि अपेछा थी बस , बाद बाक़ी तुम्हारा लाइफ तुम्हारी मर्जी । कौनसा हमारा तुम्हारा रिश्ता खून का था ... बस एक अनुबंद का था जो खत्म हो गया ।
तुम करो तुम्हरी मर्जी है ये ,  पर मैं तो तुम्हें भूलने कि चेस्टा कभी भी नहीं करूँगा ।




हां वो मेरी बातें याद हैं न तुम्हें कि ,  मुझे तुम ब्लॉक तो कर सकती हो पर डिलीट नहीं । गूगल कर लो ब्लॉक और डिलीट में क्या अंतर होता है समझ में आ जाएगी , दोनो एक दूसरे का पर्यायवाची शब्द बिल्कुल भी नही है।
रवि आनंद

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