Tuesday, 5 June 2018

एक खत अरिजीत सिंह के नाम | इनबॉक्स यादें | लघुकथा

प्रिय अरिजीत  सिंह ,

आप हर दर्द की मरहम हो , हर मर्ज की अर्ज हो , आप की गीत  ,  गीत ही नहीँ आज की यूथ केलिए दवा है , उसकी भावना है।

 इक्कसवीं सदी के प्रेम को आपने बखूबी समझा है , प्रेम "तुम ही हो " से शुरू होती है और " चन्ना मेरेया " पे जा के ख़त्म हो जाती है ।

"हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते तेरे बिना क्या वजूद मेरा" शुरुवात है तो .. " महफ़िल में तेरी हम ना रहे तो गम तो नहीं है  , चर्चे हमारे नजदीकीयों के कम तो नहीं है '' और ये दिल की तस्सली है।

आपकी आवाज प्यार औऱ ब्रेकअप दोनो में साथ देती है।

प्लेलिस्ट आपके गाने के बिना अधूरा है , आपको किसी भी मूड में सुना जा सकता है , आपके गाने की आपके आवाज की सबसे बड़ी यही खूबी है।  पार्टी में भी आपके गाने फिट हैं , ... कुड़ी नशे सी चढ़ गईं ए..... और दिल के टूटने पर ख़ैर आपकी गीत और आपकी आवाज की कोई जबाब ही नहीं है।

जब लगता है किसी को की उसकी कहाँनी अधूरी रह गई तब भी आपको ही सुनता है , " पास आए दूरियां फ़िर भी कम ना हुई , एक अधूरी सी हमारी कहाँनी रही "

जब किसी को लगता है कि इश्क़ करना खता है , तब भी आपका गया हुआ गाना उसे याद आजाता है " जीने भी दे दुनिया मुझे दुनिया मुझे इल्जाम ना लगा एक बार तो करते हैं सब कोई हँसी खता " ।  आपकी आवज हर मूड केलिए फिट है ।

इस सब के बीच जो आपके लिए गीत लिखते हैं उनका तहे दिल से शुक्रिया , उनका भी मेहनत उतना ही है ।

मिला जुला के देखा जाय तो दिल किसी का भी टूटे , फायदा आपका ही है , हमेशा महफ़िल आप ही लूट के ले जाते हैं ।

आपका जबरा फैन
रवि आनंद

1 comment:

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