Friday, 29 December 2017

मैं दिल  ,तुम गिटार आओ छेड़ दो मेरे दिल के तार ☺

मैं दिल  , तुम गिटार
आओ छेड़ दो मेरे दिल के तार

तुम गीत  , मैं अल्फ़ाज़
आओ एक मुखड़ा गा दो मेरे लिए यार

तुम गजल , मैं कागज
आओ , लिखता हूँ फिर कोई दिल की बात

तुम चाँद  ,मैं सूरज
डूब जाता हूँ फिर तेरे लिए आज
 

तुम ही किताब , तुम ही अक्षर
जुड़ जता हूँ मैं तुझमे पन्ने की तरह ए यार

रवि आनंद

Monday, 25 December 2017

दिल में कब्ज ( constipation) की तरह ना जाने कितनी बाते अटकी हुई है !

साला ये ज़िन्दगी का क्या प्लान है समझ ही नहीं आ रहा , कुछ तो सही हो जाये मेरे साथ पर नहीं । शक्ल खराब है या किस्मत या दोनो कुछ पता ही नहीं चल पा रहा । कोई भी आ कर प्रवचन दे कर चला जाता है।

दिल में कब्ज ( constipation) की तरह ना जाने कितनी बातें अटकी हुई है पर बाहर नहीं आ रही है , बहुत कुछ कहना होता है जब सुनने वाला कोई नहीं होता , ऐसा क्यों होता है पता नहीं ।

मन टूटा है या दिल कंफ्यूजन में हूँ मैं , शायद मन ही टूटा है , दिल का टूटने में दोनों तरफ से कोई गलती होती है । ऐसा कुछ था नहीं , पर साला लक ने ऐसी की तैसी मार दिया , बस हम ख़्याली पुलाव पकाते रह गये खा कोई और गया ।

रोते रोते दोनो आँखे भी मेरी बोर हो चुकी है , आँखे भी लाल  हो कर मुझे गाली देती है मानो कहती हो अबे मुझसे फ्री में कितना काम करवाता है तू ।

इतना तरक़्क़ी कर गया साइंस ,पर कुछ खास उखाड़ नहीं पाया है , अभी तक कोई ऐसा एप्प नहीं बनाया जो यादों के मेमोरी कार्ड को पूरा फॉर्मेंट कर दे । internal memory running out भी हो जाता तो कितना अच्छा था पर पता नहीं इंसान का दिमाग कितने Terabyte का होता है।

साला प्यार वो इंफेक्शन है जो केन्सर से ज्यादा खतरनाक होता है , इसकी  कोई chemotherapy नहीं होती । होती तो कितनी अच्छी होती ना , शॉक लगा , लगा कर जला देते ।

पहला चैप्टर हर सब्जेक्ट का आसान होता है ,क्योंकि उसमें कोई ऑब्जेक्ट नहीं दिखता है सबका इंट्रोडक्शन होता है , बाद में पता चलती है, फिर फटती है सबकी । प्यार में भी as it is होता है।

मतलब वही की सफ़र खूबसूरत है मंज़िल से भी ।

ये यादों का कीडे का कोई उपाय नहीं है ये दिन पर दिन इंसान को अंदर से खोखला बनाती है , दारू पी लो या चरस किसी से भी नहीं उतरेगा ।

चेहरे के तासुर से तो बस मुझे वही समझता था जिसका पता तक मुझे अब नहीं मालूम । बाद बाकी लोग मुझे पढ़ने में लगे है लेकिन समझने में कोई नहीं ।

बहुत कुछ बोलना चाहता हूँ पर जो बात मन के भीतर मौन है वो बाहर नहीं आ रही है , वैसे किसके सामने बोलू वो भी एक सवाल है ।

आशिक़ों का उम्मीद कभी खत्म नहीं होता साहेब ,
एक दिन ख्वाब में मिलूँगा उस से सब बातें करूँगा ।

रवि आनंद

Saturday, 16 December 2017

किताबों पर धूल जमने से कहानी बदल नहीं जाती !

आज शाम से  फ़िर यादें जवान है ,
हर गीत के अल्फ़ाज़ों में उनको ढूंढना जारी हैं ,
कलम से कागज पर हर एक शब्द में उनकी एहसास को उतारी जा रही है ,
यादों के नूर से घर में रौशनी नज़र आ रही है ,
आंखों के नोर से बारिश की खनक की आवाज सुनाई दे रही है।

रेडियो में बज रही जगजीत सिंह की ग़जल यादों को गर्म कर के दिल में आंच डाल रही है।
ऐसा लग रहा है वो मेरे लिए गा रहें है।

" कोई ये कैसे बता ये के वो तन्हा क्यों है ?
 वो जो अपना था ही और किसी का क्यों है ?
 यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है ?
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों है ? "

 ग़जल सिर्फ कोई गीत नहीं होती है , शायर उसे आँखो से निकले मोती की मालों की तरह गुथता है , कैफ़ी आज़मी का शब्दों ने यादों के महफ़िल में चार चाँद लगा दिए हैं।

आज बहुत सारी किताबे भी पढ़ी हर शब्द में उसे ढूंढा वो मिली भी थी , पढ़ते पढ़ते गुलज़ार साहब की वो शेर याद आ गई
" किताबों पर धूल जमने से कहानी बदल नहीं जाती "

कहनी मेरी भी वही है धूल जम गई है
स्थिर हो गई है
अधूरी है पर कहानी तो है।

रात हो गई है अब शायद
सो जाते है
उसे खव्बों में भी ढूंढना है ।

रवि आनंद

Friday, 8 December 2017

कहानी हर रात की मेरे जज्बात की !

कितने दफे करवट  बदला
कितने दफे सिरहाने से फ़ोन को टटोला
कोई लाइट फ़ोन में नहीं जल रही थी
इसी समय तो उसका फ़ोन आता था
आँख बंद में भी कमबख्त दिख रही है
आँख खुले में फ़ोन की गैलरी के आइकॉन पर हाथ चला जाता है
तस्वीर कितने दफे देखु
कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे
रोज का यही हाल हैं मेरा
कभी उठ के बैठ जाता हूँ मैसेज चेक करने की वे वजह आदत हो गई है मुझे
पुराने चैट को उँगली से ऐसे ऊपर निचे कर रहा हूँ ,
लग रहा है उसके हाथों को उँगलियों से टटोल रहा हूँ मैं मुसकुरा भी रहा हूँ अपनी तसल्ली वाली बेवकूफी पर
सब एहसास का ही तो खेल है
पर कब तक चलेगा ये उम्मीद और आशा का खेल
रोज रोज यही
ना कभी कोई मैसेज की आवाज़ आती हैं उस वक़्त
ना ही कोई फ़ोन
नेट महँगे हो गई हैं पर ना जाने कौन सा उम्मीद लिए बैठा हूँ मैं कभी फ़ोन का डाटा ऑफ नहीं करता ,
सोचता हूँ क्या पता कोई मैसेज आजाए ।
क्यों नहीं मैं पुराने चैट को डिलीट कर देता
रोज रोज उसे पढ़ना और रोना ज़िन्दगी हो गया है मेरा
क्यों कर रहा हूँ मैं ऐसा ,
किया मिलेगा मुझे ये सब कर के
कुछ समझ नहीं आ रहा सब समझ के परे है मेरे
खुद पर अब गुस्सा आता हैमुझे
मन से कहता हूँ की कुछ नहीं रखा है ये उम्मीद और इंतज़ार में
पर इसे कौन समझाए ये तो कुछ समझता ही नहीं क्या करूं मैं ? किसको बताऊँ मैं ? किसी को बता भी नहीं सकता अपनी कहाँनी
सब हँसेंगे ही ...
अच्छा छोड़ो कुछ दिन में मैं भी प्रोफेशनल हो जाऊंगा  जो चल रहा है चलने देते है।
वो किसी ने सही कहा था " routine life is very Dangerous "  मेरा भी routine हो गया है ये , कहीं Dangerous ना हो जाए मेरे लिए ।
By Ravi Anand
#inboxyaaden
#Ravianand
#Story

Thursday, 23 November 2017

रात को जब मैं नींद में रहूँ !

रात को जब मैं नींद में रहूँ
क्या तुम उस नींद की ख़ाब बनोगी
मुझे अंधेरे से डर लगता है
क्या तुम मेरी रौशनी बनोगी
जब मेरी धड़कने बढ़ने लगे अचानक से
मैं डर के घबराने लगू
क्या तुम मेरी दिल बनोगी
मैं कुछ कहना चाहूँ
पर मेरे पास लफ्ज़ नहीं हो
क्या तुम मेरी अल्फ़ाज़ बनोगी
मैं नींद में हूँ तुम ख़ाब में हो
नींद टूटने से पहले बतादो
आखरी बार मेरी बनोगी ।
रवि आनंद

Tuesday, 31 October 2017

जब प्यार होता है किसी से !

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने कोरे कागज पर गजल लिख दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है किसी ने
खुले आँखो में कई ख़्वाब भर दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने उम्मीद की किरणें जगा दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने हाथ पकड़ के ज़िंदगी भर केलिए साथ देने का वादा कर लिया हो ।

रवि आनंद

Tuesday, 3 October 2017

बताओ ना तुम उससे भी ऐसे ही प्यार करती हो क्या ? जैसे मुझसे क्या करती थी बताओ ना !

तुम उसे भी वैसे ही प्यार करती हो
जैसा मुझे किया करती थी ?
तुम उसे भी कहती हो की oye हँस भी लिया कर
हँसने का कोई पैसा नहीं लगता है ?

जब तुम उसे फोन करती हो और वो फोन उठा लेता है
तो तुम उसे भी डाटती हो जैसे मुझे डाटती थी और कहती थी
तुझे पता नहीं है क्या की मेरे फोन में बैलेंस नहीं रहता है।

तुम उसे भी अपने हाथों में मेहेंदी लगा कर दिखाती हो और कहती हो तुमने प्यार करना कम कर दिया है इस बार मेहंदी लाल नहीं हुई ।
वेवजह मुझसे रूठ कर प्यार करवाने की कोशिश क्या तुम उसके साथ भी करती हो क्या जैसा मेरे साथ करती थी ।

तुम उसके साथ भी घंटो बक बक करती हो फोन पर जैसे मेरे साथ किया करती थी और मेरे ना कुछ बोलने पर सुन भी रहे हो क्या ? बताओ तो मैंने 2 मिनट पहले क्या बोला था बताओ तो उससे भी पूछती हो क्या  ?

वो क्या तुम्हारे सपने में आता है क्या जैसे मैं आता था और तुम उसे सुबह उठ कर बताती हो क्या की मैंने तुम्हारा सपना देखा आज ?

तुम अचानक से उसे भी गले लगा कर सर चुम लेती हो क्या , चलते चलते अचानक से उसके हाथों को थाम लेती हो क्या जैसे मेरे हाथों को थाम लेती थी और पूछती थी मुझे छोड़ कर तो नहीं कहीं जाओगे तुम ?

बताओ ना तुम उससे भी ऐसे ही प्यार करती हो क्या ? जैसे मुझसे किया करती थी बताओ ना !

और कुछ पूछू क्या सवाल बहुत है मेरे पास तुम जहाँ भी हो जबाब जरूर देना मैं इंतज़ार कर रहा हूँ मैं तेरा
क्योंकि
 इंतज़ार आज भी है कि तू लौट कर आएगी
उम्मीद के दीये इश्क़ में कभी नहीं बुझते ।

रवि आनंद

Friday, 1 September 2017

मई से नवंबर कर रहे हैं हम दोनों......( सीए स्टूडेंट की प्रेम कहानी )| लघुकथा

वो जो तुम बाल को खोल लेती  हो अचानक से
बांधने केलिए ,

जब बाल तुम्हारे मुँह पर आ जाती  है
जब तुम उसको समेट के कान के पास रख देती हो ,
मुझे वो बहुत अच्छा लगता है ।
बताया नहीँ कभी  तुमको पर प्यार मुझे तेरी इसी अदा पर आया था ।

स्कूल बस में तुम खिड़की के साइड वाली शीट पर बैठती थी तुम मुँह बाहर किये पता नहीं क्या देखती रहती थी , तेरे बाल हवा में उड़ते रहते थे । मैं ड्राइवर के पास में जो शीट होता है उसपे इसलिए बैठता था ताकि तुमको सही से देख सकू । बहुत रिस्क था यदि मेरे किसी दोस्त को उस वक्त पता चल गया होता तो तुझे उसी दिन से तुझे भाभी बुलाना शरू कर देते ।

मैं छोटे शहर से आया था , लड़कियों से बात करना नहीँ जनता था । ना ही बहुत ज्यादा मन हुआ किसी और से बात करने का कभी , एक तुम ही थी जिसे देख कर मुझे कुछ एहसास हुआ था ।

पहली बार जब तुम मुझसे इकोनॉमिक्स कि नोट्स मांगी थी वो दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा अपनी ज़िंदगी में , तुम बोली थी   , तुम previous क्लास में आए थे क्या ?  मैं नहीँ आई थी , क्या तुम अपना कॉपी मुझे एक दिन केलिए दे सकते  हो ? मैंने कहाँ था हाँ , हाँ ले लो कोई नहीं कल दे देना ।

हमदोनो का बात करने का सिलसिला यहीं से शूरु हुआ था। पता है तुमको,  जब मेरे दोस्तों को पता चला हमारे बारे में तो वो सब बोला कि अबे साले तूने कैसे पटा लिया बे लड़की को तुझे तो बात भी नहीं करना आता हैं ठीक से लड़कियों से । बस हो गया , बस हो गया बोलता रहा मैं , तो उस होगया जो बोला था उस पर भी एक दोस्त ने बड़े लेवल का मज़ाक क्या था मुझसे मैंने  बस मुस्कुरा दिया था उसके बातों पे ।

कभी कभी मैं  सोचता हूँ कि मुझमें ऐसा क्या हैं कि तुम मुझे मिल गई । पता नहीं तुम ने मुझमे ऐसा क्या देखा था ।

वो जो तुम पहली बार मुझे अपना फोन नंबर दी थी याद हैं तुमको क्या कहा था तुमने मुझे ? और कंडीशन लगा दी थी कि कभी फोन मत करना , मेरा फोन नही है ये । घर का नंबर हैं ये , जब कोई नहीं रहेगा तब मैं फोन करूंगी ।

मैंने पूछा था कि तेरे पास अपना फोन नहीं है तो तेरा जवाब था कि 90 प्रेसेंट मार्क्स आएंगे तो पापा मुझे फोन देंगे ।

मैं तो उस दिन डर गया था और पूरी रात मुझे नींद नहीं आई थी । तुझे 90 प्रेसेंट लाने हैं तो मुझे भी तो इसके आसपास लाने पड़ेंगे ।

संजोग से तेरे 80 प्रेसेंट ही आ पाए थे और मेरे 78 प्रेसेंट । इज़्ज़त बच गया था मेरा । उसके बाद ढंग का कॉलेज नहीँ मिला था हमदोनो को DU में क्योंकि कॉमर्स की कट ऑफ के हिसाब से और अपनी जेनरल कैटोगरी के चलते कही Admission नहीँ हो पाया था ।  बाद  में तुमको मैंने कितनी मुश्किल से समझाया कि CA कर लेते हैं और तुम हाँ बोल दी थी लेकिन तेरे पापा को समझना मुश्किल था ।

तुमने इमोशनल ब्लैक मेल करके अपने पाप को मनाया था और हम दोनों CA केलिए रजिस्ट्रेशन करावा लिए ।

अब मई से नवंबर कर रहे हैं हमदोनो ।
तुझे तो थैंक यू बोलना चाहिए मुझे कि यदि कॉलेज से तुम पढ़ती तो तेरा कब का शादी करवा देते पापा । कम से कम फसी तो हुई हो CPT पास कर के ।

भगवान से बस इतना कहूँगा की हमदोनो का CA एक साथ खत्म हो , नहीँ तो तुमहारे पापा जुगाड़ में कहीं लग जाएंगे ।

( Love story of CA student's)

रवि आनंद

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Wednesday, 30 August 2017

जाते जाते !

मैं ये नहीं कहता की गलती तुम्हारी है
तुम भी अपनी मरजी के हो हम भी अपने सफ़र के है
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि मुझसे तुम बे-इंतिहा मोहोब्बत  करती थी

हो सकता है किस्मत की ना मंजूरी होगी
या तेरी कोई मजबूरी होगी
मान लेता हूँ सब बात , चलो तेरी कोई गलती नहीं
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि तुमने मुझे रब से नहीं मांगा
तुमने कोई कोशिश नहीं की मुझे पाने की

तुम्हें मुझसे बेहतर कोई मिल जाएगी
ये बोलने से पहले तुम
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि तुम्हें मुझसे बेहतर कोई मिल गया
तुम इसलिए मुझे छोड़ रही हो

कल से तुम नहीं होगे
ज़िन्दगी में बहुत उदासी होगी
तुम मेरी ज़िन्दगी हो , सांस कैसे लूँ तुझ बिन
तुम ही सांस हो मेरी
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि मुझसे तुम बे-इंतिहा मुहब्बत करती थी

रवि आनंद

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अब सब खैरियत है ...

तुम पूछ ही दिए हो की कैसे हो ?
तो सुनो अब सब खैरियत है

आओ पास बैठो जल्दी क्या है
अपना हाले दिल बतलाता हूँ

सुनो अब मैं गिर कर खुद सभंल जाता हूँ
ज़मीन पर हाथ रख कर खड़ा हो जाता हूँ

कोई आह तक कहने वाला नहीं है
और सिसक को समझना तो बहुत दूर की बात है

जब मुझे चोट लगती है तो मै खुद से सेहला लेता हूँ
दर्द तो कम नहीं होती पर दिल को बेहला लेता हूँ ।

रवि आनंद

Monday, 24 July 2017

ज़रूरी था !

* जो "पानी" सा ज़रूरी था
जिन्दा रहने केलिए
वो आँखों "पानी" की वजह बन गया

* जो "हवाओं" सा ज़रूरी था
सास लेने केलिए
वो "हवाओं" की तरह अपना रुख मोड़ लिया

* जो मेरा "सफ़र" था
   जो मेरा मंज़िल था
वो किसी और का "हमसफ़र" बन गया ।

रवि आनंद

Tuesday, 11 July 2017

किसान हमेशा दूसरों का पेट भरने केलिए किसानी करता है।

धान और गेहूं कि खेती चार- पाँच साल से ठप है, वैसे तो खेती ही ठप है  लेकिन धान और गेहूं को खेती में ज्यादा प्रमुखता दी जाती है। इस दोनों फसलों को उपजाने केलिए सबसे ज्यादा पानी कि जरूरतें परती है।

दमकल लगा कर खेती किसान अपने पेट भरने केलिए तो कर सकता है लेकिन दूसरे का पेट इससे नहीं भरेगा । किसान हमेशा दूसरों का पेट भरने केलिए किसानी करता है। दमकल लगा कर क्विंटल में उपजाया जा सकता है टन में नहीं ।

जिस दिन किसान सिर्फ अपने पेट भरने के बारे में सोचेगा तो क्या हाल होगा ? आप एक मिनट खर्च करके कल्पना कर सकते हैं। आप यदि इस भूल में हैं कि आपके पास पैसा हैं तो पैसे को आप चबा नहीं सकते और पर्स में डेबिट और क्रेडिट कार्ड रखने से पेट नहीं भर जाती है।

आप ज्यादा दिन बर्गर , पिजा खा कर नहीं रह सकते हैं क्योंकि ये सब तभी अच्छा लगता हैं जब पेट भरा हुआ हो । तो इस    भ्रम से बाहर आईए ।

किसान का दर्द कौन समझ सकता हैं ? ये सबसे बड़ा प्रश्न है। क्या कोई नेता किसान का दर्द समझ सकता हैं ? क्या कोई कंपनी का मालिक किसान का दर्द समझ सकता हैं ? क्या आप जो शहर के मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हैं सुबह घर से जाते हैं  रात को घर वापस आते हैं क्या आप किसान का दर्द समझ सकते हैं ? जी बिलकुल भी नहीं ! 

आप शहर के लोग जब किसान का दर्द नहीं समझ सकते हैं तो बाद बाकियों से क्या उम्मीद रखें । आप दफ़्तर से थके हारे घर आते हैं, आपको तो अपने बच्चों , विवि से ठीक से मिलने का मौका का नहीं मिल पाता हैं , 9 बजे दफ्तर जाते हैं और 8 बजे घर वापस आते हैं तो आप किसानों के बारे में कब सोचेंगे । 

लेकिन आप के डायनिंग टेबल का ताज पेशी जिससे बढ़ती हैं उमसे आपकी घरवाली के हाथ से ज्यादा किसी किसान कि कड़ी धूप की मेहनत होती हैं। 

लेकिन आप ये सब बात नहीं सोचते क्योंकि आपने जो बासमती चावल और अरहर कि दाल बस एक कार्ड स्वैप कर के खरीद लिया किसी मॉल में जाकर । आप केलिए सब सिंपल हैं क्योंकि आपके पास पैसा हैं। 

मुझे नेताओं से उम्मीद नहीं हैं चाहे वो किसी भी दल का नेता हो , नेताओं को राजनीति करनी हैं उनका ये प्रोफ़ेसन हैं । वो हिन्दू , मुसलिम करेंगे , दलित- दलित करेंगे और किसानों का इस्तेमाल कर के राजनीति का रोटी सकेंगे । 

किसान आत्महत्या करेगा तो उसके घर जाएंगे फोटो खिंचवाएंगे ओर फेसबुक पर पोस्ट कर देंगे । मीडिया में आ जाएंगे जो काम था उसमें वो सफल हो गये।

या कुछ नेता ट्विटर पर गप्प छोड़ते , एयरकंडीशन स्टूडियो में बैठ कर डिबेट ( कुकरा कटाउज ) करते नज़र आ जाएंगे , मीडिया और नेता दोनों का काम बन गया । मीडिया को टॉपिक और नेताओं को एक स्टेटमेंट देने का मौका ।

तो सोचिए एक बार कि , पैसा पॉकेट में होने भर से पेट नहीं भरता है उसी तरह जिस तरह समंदर के किनारे खड़ा भर होने से प्यास नहीं बुझती है।

रवि आनंद

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Wednesday, 21 June 2017

इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती ।

इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती
यादों से कभी जुदाई नहीं मिलती

गिरफ्त में दिल है आज भी उसके
जो मुझे छोड़ कर चला गया
ए खुदा तुझे जुदाई भी देनी नहीं आती

मुसलसल मुलाकात होती हैं  रोज रोज
 ऐसा क्यूँ लगता है मुझे
वो ख्वाबों में आना भी बंद नही करती

इंतिज़ार आज भी हैं कि वो लौट कर आएगी
उम्मीद के दिये कभी इश्क़ में नहीं बुझती

इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती ।

Saturday, 27 May 2017

सूखे में बारिश का !

*   तुझे पाने का इंतज़ार मेरा
     वैसा है जैसा करता है किसान 
     सूखे में बारिश का


*  बस एक उम्मीद है बेवजह
   कि मेरे बंजर ज़मी पर
   कुछ बून्द बरस जाए 
   पत्थर हो चुकी ज़िन्दगानी में
   एक बसन्त बहार आजाए


* दरारे हैं दिल कि ज़मी पर हर जगह
   उम्मीद की पलकें बिछाए रखा हूँ 
   कि कुछ बून्द बरस जाए 
   मेरे मिट्टी जैसी बदन को 
   एक सौंधी सी खुश्बू मिल जाए


* हरियाली थी कभी ज़िन्दगानी में 
  जब तेरी मोहब्बत कि बारिश हो रही थी
  पीला हो चुका हूँ मैं हर जगह धूप ही धूप है अब 
  
   बस एक उम्मीद है वेवजह
   कि मेरे बंजर ज़मी पर
   कुछ बून्द बरस जाए 
   पत्थर हो चुकी ज़िन्दगानी में
   एक बसन्त बहार आजाए


*   तुझे पाने का इंतज़ार मेरा
    वैसा है जैसा करता हैं किसान 
     सूखे में बारिश का ।



रवि आनंद

Wednesday, 24 May 2017

My two liners | Unspoken Words

1. " You are my life I can't live without you "
        He said.
     
      '' Life has no guarantee "
      She replied.

2. " Kiska phone aaya tha "
    Mom asked strictly.
  " Class mate thi mom "
Heart replied Soulmate.

3. " There was a time when
       I was wallpaper of your
       phone "
     
   " Now I'm not even in your contact list of
     Your phone "

How time flies.

4. " You have no any  how much I love you "
        He said.

" One idea can change my life "
  She replied.

5. " I love you "

   But Back space save the friendship.







    
   

Monday, 8 May 2017

एक गलती कर लिया करो | इनबॉक्स यादें | लघुकथा

तेरी डायरी के पिछले पन्ने पर मेरा नाम लिखा होगा । मेरा दिया हुआ वो गुलाब का फूल डायरी में रखे रखे सुख गए होंगे । पासपोर्ट साइज कि फ़ोटो जो तुम मांगी थी मेरा , उसको तुम बहुत मुश्किल से कहीं पे छिपाई होगी।
अंदर अंदर तुम कितनी घुटन सह रही होगी , आँख तेरा लाल लाल हो गया होगा । माँ के पूछ्ने पर , किसी के सामने आजाने पर तुम सर दर्द कर रहा है , बोल के बातों को टाल रही होगी ।  बार बार बाथरूम जा कर तुम मुँह को पोछती होगी । फेक स्माइल कर के सब नॉर्मल हैं का नाटक कर रही होगी  ।
हाँ , दवा खा लिया केह के माँ , पापा से झूठ बोल रही होगी ।

पर ये तो एक दिन कि  बात नहीं है  ना , ये तो रोज रोज की आदत जैसी होगई होंगी तुझे । कैसे कर लेती होगी यार तुम ,घंटो बक बक करते रेहना तेरा फ़ोन पे , व्हाट्स एप्प पे बातें , वीडियो कॉल्स और कल देखा तो तेरा फेसबुक भी डीएक्टिवेट था । कैसे ढाल ली अपने आप को तुम इन परिस्थतियों में , कमाल हो यार तुम तो एकदम ।

एक बात तो है , तुमसब में अपने सपनो को , अपने अरमानों को , अपने फ्यूचर को  , सब विश को तुमलोग  पता नहीं कैसे दबा लेती हो अपने भीतर । कभी बयाँ ही नहीं करती हो , और तुमलोगों इसी दबी हुई मन की बातों को कोई समझ नहीं पता है ,और तुमलोग घुटती रहती हो पूरी ज़िंदगी ।

बता दिया करो ना , जो होगा देखा जाएगा । क्यों डरती हो तुमलोग । नहीं बताओगी तो कैसे तुमहारी मन की बातों को कोई समझ पाएगा । रिस्क लेने में इतना क्यों डर लगता है , अपनी जज्बातों को तुम बताओ ना अपने घर वालों से । छोड़ो ना फालतू के लोंगो के बारे में कि वो क्या सोचेंगे । वो सोच कर के तुम्हारा क्या अच्छा कर लेंगे ।

पता है तुम समाज से डरती हो , पता है मुझे कि तुम्हें समाज की संस्कृती की चिंता हैं , कि यदि तुम अपने मन से कुछ कर ली तो समाज के लोग क्या सोचेंगे । 

पर तुम्हारा क्या मन हैं ? तुम क्या चाहती हो ?  उसका क्या होगा , जरा सोचो तो ।

एक गलती करने से यदी पूरी ज़िंदगी तुम खुश रह सकती हो तो वो गलती कर लो ना । क्या दिक्कत है। तुम किसी का बुरा तो नहीं ना कर रही हो ।

अपने बारे में भी कभी सोच लिया करो ।

काश तुम सर दर्द कर रहा है मेरा , की जगह अपनी जज्बातों को उस दिन बयाँ कर दी होती तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते तुम्हें।

'' जज्बातों को बयाँ करना यदी गलती हैं तो ये गलती कर लिया करो ''।

Ravi Anand

Saturday, 29 April 2017

दिल्ली मेट्रो ।

यार मेट्रो तुमको मैं कैसे थैंक यू कहूँ मेरे पास शब्द नही है...तुम्हारे लिए हर तारीफ़ कम हैं , तुम लाजवाब हो .. एकदम हसीन हो वैसे ही जैसे दिल्ली वाली हसीन होती हैं... इतनी सुंदर हो कभी ज्यादा लेट नही होती हो और सबसे खास बात ये हैं तुझमे कि जरा सा भी attitude नहीं आई कभी ।

कितनी भीड़ को सहन करती हो 6 बजे से 11 बजे तक चलती रहती हो बिना थके और हारे ।

जब तुम चलती हो तो लोग तुम्हे ऑफिस जाने से लेकर इश्क़ लड़ाने केलिए तक इस्तेमाल करते हैं।
जितनी तुम खूबसूरत हो उतने ही बहुत बड़े दिल वाली भी हो , यदी आज मेट्रो का स्टेशन नही होता तो मेरे जैसे ना जाने कितने लोग दिल्ली में कहाँ भटकते । 

यदी आज राजीव चौक पर से तुम नही गुजरती तो लोग क्लास और ऑफिस जाने के बहाने सीसीडी में डेट पर कॉफी पीने कैसे आते ।

लक्ष्मीनगर नगर से इतने ca ,cs ,cwa ,banking के बच्चे पास होकर निकलते हैं यदी तुम उधर से नही गुजरती तो ना जाने वो बच्चे कहाँ बैठ कर revision करते  , उनके लिए तुम्हरा स्टेशन ही बस एक सहारा है।
तुम ने सब का समय ही नही बहुत कुछ बचाया है।

शब्द नहीं हैं मेरे पास तुम्हे थैंक यू कहने केलिए पर इतना कहूँगा मुझे तुम से इश्क़ है।:) 

#DelhiMetro 
Ravi Anand

Wednesday, 26 April 2017

Inbox Yaaden Story 1 ! इश्क़ बस एक एहसास ।

जज्बातों को समेट कर एक पन्ने पर लिख कर लाया हूँ
पोस्ट कर दू या ना करू सोच में पड़ा हूँ
अपने आप से गुफ़्तगू कर रहा हूँ
सवालो की वारिश हो रही है मन मे ..पर कम्वख्त उसका खयाल पीछा नही छोड़ता ।
रिस्क है यदि कोई और पढ़ ले तो
छोरो नही करना ये सब ।

ऐसा क्यों होता है जब दो लोग बे इन्तहां मोहब्बत करते हैं  एक दूसरे को तो भगवान धोका दे देते हैं  ।
क्या बिगाड़ा था आपका मैने भगवान ।

(हर्ष अपने आप से कहता है और पोस्ट ऑफिस से घर वापस चला आता है। )

माँ माँ नही हो क्या ?
हां यही हु क्या हुआ बताओ तो ,
 कुछ नही बाहर धूप बहुत है
हाँ तो पानी कुछ देर बाद पीना सर्दी हो जाएगी.... आते ही पानी पीने लगते हो ....ऐसे मौसम में सर्द गर्म हो जाता है

और किसने कहाँ था इतनी धूप में बिना मतलब के बाहर जाने केलिए
अरे माँ तुम तो एक बार मे ही कितनी सावल करने लगती हो ..
यही तो गया था
कहाँ ? अरे बाहर गया था कॉपी लानी थी ।

( हर्ष झूठ पर से झूठ बोल रहा है वास्तविकता तो कुछ और ही थी जो वो किसी और से बता नही सकता था )

'' दिल मे कुछ बात ऐसी दबती है और उसको बहुत दिनों के बाद बाहर निकालो तो आंखों से बूंदा बांदी अपने आप शुरू हो जाती है''

सर दर्द करने लगता है...
ऎसा दर्द जो vicks लगाने से कहाँ छूटता ।

दिल का दर्द है। दिमाग का थोड़ी है।
हर्ष तुम आज ट्यूशन नही जाओगे क्या ?
हां पाप जाऊंगा , देखते है

अरे देखते क्या है ? स्कूल में नही हो तुम अब कॉलेज में चले गए हो वो भी science ले लिए हो शुरु से ही ध्यान देना पड़ेगा , फाकी मत मारो अभी से ।

तुम्हारे सर से मैने बात क्या है तुमपे थोड़ा ज्यादा ध्यान दे ।
 हर्ष - हां ठीक है पापा ।

(अब पापा को कौन समझाए की जिसके साथ मेरी केमेस्ट्री जम चुकी थी वो ही नही है अब तो ट्यूशन जा कर के क्या करूँगा।)

"फीलिंग्स का रिएक्शन बहुत फ़ास्ट होता है सब कैमिकल फैल है इसके सामने ''

इसका इन्फेक्शन एक बार लग गया तो कभी भी शरीर से जाता नही है । कैंसर का केमो थरेपी होता है इसका भी हो जाता तो कितना अच्छा होता एक शॉक लगाने से सारी फीलिंग्स जल जाती और  ताउम्र केलिए छुटकारा मिल जाता ।

हर्ष - मैं साइंस ले कर फस चुका हूँ  फालतू में ले लिया 62% मार्क्स कैसे आया टेंथ मे मैं जानता हूँ ।

मुझे क्या पता था कि उसको ज्यादा नंबर आजाएगा और वो दूसरे शहर चली जयेगी पढ़ने केलिए ।
हिटलर हैं उसका बाप भेज दिया शहर ,कुछ भनक भी नही लगा ।

 तनु भी हद निकली बताई भी नही कुछ ,एक बार बताई थी पेपर से पहले ऐसे ही , पर मुझे तो मज़ाक लगा था ।
सच मे चली गई , लड़की की बातों को कभी casually नही लेनी चाहिए
अब पता चल रहा है मुझे ।

हर्ष टूट सा चुका था कहाँ ।

तनु की यादें उसे अंदर ही अंदर खोखला बना रहा था ,
अब की तरह कहाँ पहले सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्स एप्प था ,
फिर भी लोग  मोहब्बत करते थे ।

महसूस करना ही किसी को तो मोहब्बत है

हर्ष की एहसासों की दीवानी थी तनु
दूर बहुत थी फिर भी बहुत पास थी तनु
प्रेम को कौन परिभाषित कर सकता है ? कोई नही ।
वो गीत याद आता है मुझे गुलज़ार साहब का लिखा था , लाता जी ने गाई थी । खामोशी नाम था सिनेमा का ..

हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो सिर्फ़ एहसास है ये रूह से एहसास करो प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो....

प्यार का नाम क्या है ?  कुछ नही बस  किसी का एहसास....

किसी का एहसास हो जाये और रूह उसे महसूस कर ले उसको , यही तो प्यार है..
सम्बन्ध खून का कहाँ  होता है बस एहसास का ही तो होता है 
                                                                 
रवि आनंद ।

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...