तुम पूछ ही दिए हो की कैसे हो ?
तो सुनो अब सब खैरियत है
आओ पास बैठो जल्दी क्या है
अपना हाले दिल बतलाता हूँ
सुनो अब मैं गिर कर खुद सभंल जाता हूँ
ज़मीन पर हाथ रख कर खड़ा हो जाता हूँ
कोई आह तक कहने वाला नहीं है
और सिसक को समझना तो बहुत दूर की बात है
जब मुझे चोट लगती है तो मै खुद से सेहला लेता हूँ
दर्द तो कम नहीं होती पर दिल को बेहला लेता हूँ ।
रवि आनंद
No comments:
Post a Comment