Monday, 8 May 2017

एक गलती कर लिया करो | इनबॉक्स यादें | लघुकथा

तेरी डायरी के पिछले पन्ने पर मेरा नाम लिखा होगा । मेरा दिया हुआ वो गुलाब का फूल डायरी में रखे रखे सुख गए होंगे । पासपोर्ट साइज कि फ़ोटो जो तुम मांगी थी मेरा , उसको तुम बहुत मुश्किल से कहीं पे छिपाई होगी।
अंदर अंदर तुम कितनी घुटन सह रही होगी , आँख तेरा लाल लाल हो गया होगा । माँ के पूछ्ने पर , किसी के सामने आजाने पर तुम सर दर्द कर रहा है , बोल के बातों को टाल रही होगी ।  बार बार बाथरूम जा कर तुम मुँह को पोछती होगी । फेक स्माइल कर के सब नॉर्मल हैं का नाटक कर रही होगी  ।
हाँ , दवा खा लिया केह के माँ , पापा से झूठ बोल रही होगी ।

पर ये तो एक दिन कि  बात नहीं है  ना , ये तो रोज रोज की आदत जैसी होगई होंगी तुझे । कैसे कर लेती होगी यार तुम ,घंटो बक बक करते रेहना तेरा फ़ोन पे , व्हाट्स एप्प पे बातें , वीडियो कॉल्स और कल देखा तो तेरा फेसबुक भी डीएक्टिवेट था । कैसे ढाल ली अपने आप को तुम इन परिस्थतियों में , कमाल हो यार तुम तो एकदम ।

एक बात तो है , तुमसब में अपने सपनो को , अपने अरमानों को , अपने फ्यूचर को  , सब विश को तुमलोग  पता नहीं कैसे दबा लेती हो अपने भीतर । कभी बयाँ ही नहीं करती हो , और तुमलोगों इसी दबी हुई मन की बातों को कोई समझ नहीं पता है ,और तुमलोग घुटती रहती हो पूरी ज़िंदगी ।

बता दिया करो ना , जो होगा देखा जाएगा । क्यों डरती हो तुमलोग । नहीं बताओगी तो कैसे तुमहारी मन की बातों को कोई समझ पाएगा । रिस्क लेने में इतना क्यों डर लगता है , अपनी जज्बातों को तुम बताओ ना अपने घर वालों से । छोड़ो ना फालतू के लोंगो के बारे में कि वो क्या सोचेंगे । वो सोच कर के तुम्हारा क्या अच्छा कर लेंगे ।

पता है तुम समाज से डरती हो , पता है मुझे कि तुम्हें समाज की संस्कृती की चिंता हैं , कि यदि तुम अपने मन से कुछ कर ली तो समाज के लोग क्या सोचेंगे । 

पर तुम्हारा क्या मन हैं ? तुम क्या चाहती हो ?  उसका क्या होगा , जरा सोचो तो ।

एक गलती करने से यदी पूरी ज़िंदगी तुम खुश रह सकती हो तो वो गलती कर लो ना । क्या दिक्कत है। तुम किसी का बुरा तो नहीं ना कर रही हो ।

अपने बारे में भी कभी सोच लिया करो ।

काश तुम सर दर्द कर रहा है मेरा , की जगह अपनी जज्बातों को उस दिन बयाँ कर दी होती तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते तुम्हें।

'' जज्बातों को बयाँ करना यदी गलती हैं तो ये गलती कर लिया करो ''।

Ravi Anand

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