Monday, 9 September 2019

हर्फ़ || रवि आंनद

हर्फ़ को धागों में पिरोने की कोशिश की है
फिर से तुम्हें कागज़ पर उतारने की कोशिश की है


हर एक लिखी हर्फ़ में मैंने तुमसे कोई बात की है
उफ़्फ़ मैंने कितनी शिद्दत से तुमसे मोहब्बत की है



तुम्हारे लिए हर एक लिखी हर्फ़ में मैंने इबादत की है
मोहब्बत तुमसे सीखा था मैंने उस कर्ज की अदायगी की है


आज फिर से मैंने आँखों को नम की है
तब जा कर इस ग़ज़ल को मैंने मुकम्मल की है




रवि आनंद






संशोधित करने केलिए प्रशांत झा का आभार 

Monday, 2 September 2019

अब मुझे भी बेवफ़ाई करने का मन कर रहा है || रवि आंनद

तुम्हें उसी राह पे छोड़ दूं
तुम्हें बेइन्तहां मोहब्बत कर के फिर तुम्हारे दिल को तोड़ दूं

तुम्हें एक उम्मीद दूं , फिर मैं वो उम्मीद को तोड़ दूं
तुम्हें अपना बना लूं , फिर किसी औरों से मैं रिश्ता जोड़ लूं

तुम्हें दिल में बसा के फिर से वो दिल को मैं पत्थर बना लूं
तुम्हें मैं चाँद औऱ आफ़ताब कहूँ , फिर मैं रौशनी से किसी औऱ को भर दूं

तुम्हें मैं पानी सा ज़रूरी समझूं फिर मैं तुम्हारे आँखों में पानी की वजह बन जाऊं

अब मुझे भी बेवफ़ाई करने का मन कर रहा है
हां है ये रंजिश पर मुझे तुझसे नफ़रत करने का मन कर रहा है

मैं भी इंसान हूँ , मुझे भी इंसानियत निभाने का मन कर रहा है.....

रवि आनंद

Friday, 24 May 2019

कभी आना यूँ ही

वो लम्हा को ढूंढने मैं रोज निकलता हूँ
जिस लम्हें में तुमने वादा ता उम्र का किया था

तुमने कहा था मैंने सुना था
जुबां को खामोश कर के हमने ऐहसासों को सुना था

रूह से मुक्कमल कर के
हमने जिस्म को छोड़ा था

वो पल सालो में बदल गए
जुदा हुए ज़रूर हम लेकिन
हमदोनों ने ऐहसासों को जीवित कर गए

मेरे खून में तुम आज भी बेह रही हो
कभी आना यूँ ही

तो देखना मुझे  , तुम मेरी आँखों की पुतलियों में डगमगा रही होगी .....

रवि

Friday, 19 April 2019

एक सुबह !

एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा
तुम मुझे सोच रही होगी
तुम मुस्कुरा रही होगी
तुम उसके बाहों में लिपट कर मेरी धड़कनो को सुनने की कोशिश कर रही होगी

एक सुबह आधे आधे नींद में मैं तुम्हें याद आऊंगा

याद आऊंगा फिर दिन भर तुझमें मैं मैजुद रहूंगा
तुम भूलने की कोशिश करना
मैं तुम्हारे और करीब आऊंगा
जिद्दी हूँ मैं , मैं इतना जल्दी नहीं जाऊंगा

एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा

रवि आनंद



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Thursday, 11 April 2019

दिल की गैलरी में तेरी अंगिनत यादें सेव हैं।


तुम्हारी मुस्कुराती हुई तस्वीरों को मैंने कई दफा अपने आँखें से ऐसे कैद किया जैसे कि मैं कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर हूँ। और वो तस्वीर दिल की गैलरी में एक दम सुरक्षित और सेव हैं। यादों का बैकअप कमाल का होता है लेकिन । डिलीट का कोई ऑप्शन ही मौजूद नहीं है। काश डिलीट का ऑपशन होता तो कितना अच्छा होता ना ?

तुम्हारी बचकानी हरकतों वाली तस्वीरों को मैंने सबसे ज्यादा कैद कर के रखा हुआ है। तेरा वेवजह रूठ जाना और ज्यादा कुछ देर तक भाव नहीं देने पर तुम्हारा खुद व खुद मान भी जाना । उफ्फ , वो वक्त । वो बीते हुए वक्त के पन्ने को मैं दिन में एक न एक बार जरूर पलट ही लेता हूँ  , उसे देख ही लेता हूँ .. क्योंकि रिवीजन करना ज़रूरी है ना तुम्हारी यादों की... क्योंकि तुम भी कोई सवालों से कम नहीं हो मेरी ज़िंदगी में । तुम '' मिली और मिल के क्यूँ ना मिली''  खैर छोड़ो .... अब तुम नहीं करती होगी तो मैं क्या करूँ पर मैं तो करता हूँ। क्योंकि मुझे पता है कि तुम मुकम्मल हो मुझे ,  मेरा इश्क़ मुकम्मल है मुझे  ''रूह'' से है , बदन से नहीं ।

सुना है तुम बहुत बिजी रहती हो , अच्छी बात है रहना भी चाहिए । तुम बोलती भी थी की मैं बहुत स्ट्रांग हूँ तब मुझे मज़ाक सा लगता था , मैं तुम्हारा मज़ाक भी उड़ाता था कि 45 किलो की लड़की क्या स्ट्रांग होगी । पर मज़ाक नहीं यार तुम तो स्ट्रांग नहीं एकदम कठोर निकली। कहीं मिल जाओगी कभी तो मैं तुमसे माफी मांग लूंगा की तुमको मैंने कम आँका ,अंडरएस्टिमेट किया । तुम सच में बहुत स्ट्रांग हो एकदम पत्थर के माफ़िक ।

देखो मुझे कोई शिकायत नहीं है तुमसे। शिकायत तो अपनो से होती है ना ? और तूम तो अपने हो नहीं  ...फिर मैं  शिकायत का आवेदन क्यूँ भरु । जब आखँ भर आता है कभी - कभी तो जम के बरस लेता हूँ , दिल का बोझ को हल्का कर लेता हूँ। क्यूंकि " शिकायतें है ही नहीं ज़िंदगी में , ज़िन्दगी है ही नहीँ ज़िंदगी में । अब मेरा ज़िंदगी कौन है , शिकायत मेरा कौन है तुम इसपे ध्यान मत दो तु बिजी रहो ।

आख़िर में एक बात कहना चाहता हूँ , बिंदी लगाना भले ही भुल जाना तुम कोई बात नहीं , पर मुस्कुराना कभी भी मत भूलना तुम । क्योंकि जब -जब तुम मुस्कुराती हो तो मेरा रूह मुस्कुराता है। तुम्हें तो पता है कि मैं कितना बड़ा सेल्फिश इंसान हूँ पहले अपना फायदा हमेशा देखता हूँ , So please keep smiling 💓

रवि आनंद

Tuesday, 9 April 2019

एक मुद्दत हो गई..........



एक मुद्दत हो गई
वो कागज आज भी नम है
जिसपे सियाही ने गम के आसूं उगले थे

एक मुद्दत हो गई
मैं फिर भी तुम्हारी राह को देखता हूँ
अब इंतज़ार भी ना करूं तेरा
मैं इतना तो बेंवफ़ा नहीं

एक मुद्दत हो गई
कितने लम्हें बीत गए
वो लम्हा कब होगा जिस लम्हें में मैं तुम्हें भूल जाऊं



एक मुद्दत हो गई
ज़िंदगी से मुलाकात नहीं हुई
ज़िंदगी में ना हो कर ज़िंदगी में यूँ दाखिला देना अच्छी बात है क्या ?

रवि आनंद

Wednesday, 3 April 2019

कितना आसान है , या कितना मुश्किल आज तक समझ नहीं आया ।

दर्द को समेटना
फ़िर कागज़ पर लिखना
नोर की सियाही बहाना
यादों को पुनः पुनर्जीवित करना
उसको शब्दों से करीब लाना
उसको महसूस करना
उसके एहसास में तृप्त हो जाना
फ़िर प्यार , मुहब्ब्त , शायरी , नज़्म , कविता का नाम दे देना
कितना आसान है , या कितना मुश्किल आज तक समझ नहीं आया ।

उससे कितना कुछ सीखा मैंने
ज़िन्दगी को जीना
ज़िन्दगी को जीते जी मर जाना
बहुत पास आना
फ़िर पास आ कर बहुत दूर हो जाना
दो बदन को एक हो कर
फिर एक - एक हो जाना
हम होना
फिर मैं हो जाना
मुहब्ब्त हासिल करने केलिए सफल होना,  सबसे ज़रूरी  होना
सब उसी से सीखा था मैंने
सब उसी से ।

मेरी बेतुकी बातों पर उसका हँसना
उसकी बेफिजूल की बातों को मेरा ध्यान से सुनना
खुले आँखों से ख़्वाब को देखना
उसकी हर एक गलती को बस एक नादानी समझना
अब उसका दूर हो जाना
किसी और का उसका हो जाना
उसके मांग पर सिंदूर लगा हुआ देखना
उसकी हाथों में मेंहदी लगा हुआ देखना
फिर दिल को बहलाने केलिए खुद से ये बोलना
कि मेरी जान तुम्हारे हाथों में जो मेहंदी लगी हुई है
इसपे रंग मेरे प्यार की चढ़ी हुई है
मेरा भी इतना बदल जाना
ना जाने ये कैसे हो गया सब कुछ
कितना आसान है , या कितना मुश्किल आज तक समझ नहीं आया ।

रवि आनंद

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...