दर्द को समेटना
फ़िर कागज़ पर लिखना
नोर की सियाही बहाना
यादों को पुनः पुनर्जीवित करना
उसको शब्दों से करीब लाना
उसको महसूस करना
उसके एहसास में तृप्त हो जाना
फ़िर प्यार , मुहब्ब्त , शायरी , नज़्म , कविता का नाम दे देना
कितना आसान है , या कितना मुश्किल आज तक समझ नहीं आया ।
उससे कितना कुछ सीखा मैंने
ज़िन्दगी को जीना
ज़िन्दगी को जीते जी मर जाना
बहुत पास आना
फ़िर पास आ कर बहुत दूर हो जाना
दो बदन को एक हो कर
फिर एक - एक हो जाना
हम होना
फिर मैं हो जाना
मुहब्ब्त हासिल करने केलिए सफल होना, सबसे ज़रूरी होना
सब उसी से सीखा था मैंने
सब उसी से ।
मेरी बेतुकी बातों पर उसका हँसना
उसकी बेफिजूल की बातों को मेरा ध्यान से सुनना
खुले आँखों से ख़्वाब को देखना
उसकी हर एक गलती को बस एक नादानी समझना
अब उसका दूर हो जाना
किसी और का उसका हो जाना
उसके मांग पर सिंदूर लगा हुआ देखना
उसकी हाथों में मेंहदी लगा हुआ देखना
फिर दिल को बहलाने केलिए खुद से ये बोलना
कि मेरी जान तुम्हारे हाथों में जो मेहंदी लगी हुई है
इसपे रंग मेरे प्यार की चढ़ी हुई है
मेरा भी इतना बदल जाना
ना जाने ये कैसे हो गया सब कुछ
कितना आसान है , या कितना मुश्किल आज तक समझ नहीं आया ।
रवि आनंद
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