
एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा
तुम मुझे सोच रही होगी
तुम मुस्कुरा रही होगी
तुम उसके बाहों में लिपट कर मेरी धड़कनो को सुनने की कोशिश कर रही होगी
मैं तुम्हें याद आऊंगा
तुम मुझे सोच रही होगी
तुम मुस्कुरा रही होगी
तुम उसके बाहों में लिपट कर मेरी धड़कनो को सुनने की कोशिश कर रही होगी
एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा
याद आऊंगा फिर दिन भर तुझमें मैं मैजुद रहूंगा
तुम भूलने की कोशिश करना
मैं तुम्हारे और करीब आऊंगा
जिद्दी हूँ मैं , मैं इतना जल्दी नहीं जाऊंगा
तुम भूलने की कोशिश करना
मैं तुम्हारे और करीब आऊंगा
जिद्दी हूँ मैं , मैं इतना जल्दी नहीं जाऊंगा
एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा
मैं तुम्हें याद आऊंगा
रवि आनंद
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