पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं -दुष्यंत कुमार
Saturday, 27 May 2017
सूखे में बारिश का !
Wednesday, 24 May 2017
My two liners | Unspoken Words
1. " You are my life I can't live without you "
He said.
'' Life has no guarantee "
She replied.
2. " Kiska phone aaya tha "
Mom asked strictly.
" Class mate thi mom "
Heart replied Soulmate.
3. " There was a time when
I was wallpaper of your
phone "
" Now I'm not even in your contact list of
Your phone "
How time flies.
4. " You have no any how much I love you "
He said.
" One idea can change my life "
She replied.
5. " I love you "
But Back space save the friendship.
Monday, 8 May 2017
एक गलती कर लिया करो | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
अंदर अंदर तुम कितनी घुटन सह रही होगी , आँख तेरा लाल लाल हो गया होगा । माँ के पूछ्ने पर , किसी के सामने आजाने पर तुम सर दर्द कर रहा है , बोल के बातों को टाल रही होगी । बार बार बाथरूम जा कर तुम मुँह को पोछती होगी । फेक स्माइल कर के सब नॉर्मल हैं का नाटक कर रही होगी ।
पर तुम्हारा क्या मन हैं ? तुम क्या चाहती हो ? उसका क्या होगा , जरा सोचो तो ।
एक गलती करने से यदी पूरी ज़िंदगी तुम खुश रह सकती हो तो वो गलती कर लो ना । क्या दिक्कत है। तुम किसी का बुरा तो नहीं ना कर रही हो ।
Saturday, 29 April 2017
दिल्ली मेट्रो ।
कितनी भीड़ को सहन करती हो 6 बजे से 11 बजे तक चलती रहती हो बिना थके और हारे ।
जब तुम चलती हो तो लोग तुम्हे ऑफिस जाने से लेकर इश्क़ लड़ाने केलिए तक इस्तेमाल करते हैं।
जितनी तुम खूबसूरत हो उतने ही बहुत बड़े दिल वाली भी हो , यदी आज मेट्रो का स्टेशन नही होता तो मेरे जैसे ना जाने कितने लोग दिल्ली में कहाँ भटकते ।
यदी आज राजीव चौक पर से तुम नही गुजरती तो लोग क्लास और ऑफिस जाने के बहाने सीसीडी में डेट पर कॉफी पीने कैसे आते ।
लक्ष्मीनगर नगर से इतने ca ,cs ,cwa ,banking के बच्चे पास होकर निकलते हैं यदी तुम उधर से नही गुजरती तो ना जाने वो बच्चे कहाँ बैठ कर revision करते , उनके लिए तुम्हरा स्टेशन ही बस एक सहारा है।
तुम ने सब का समय ही नही बहुत कुछ बचाया है।
शब्द नहीं हैं मेरे पास तुम्हे थैंक यू कहने केलिए पर इतना कहूँगा मुझे तुम से इश्क़ है।:)
#DelhiMetro
Wednesday, 26 April 2017
Inbox Yaaden Story 1 ! इश्क़ बस एक एहसास ।
पोस्ट कर दू या ना करू सोच में पड़ा हूँ
अपने आप से गुफ़्तगू कर रहा हूँ
सवालो की वारिश हो रही है मन मे ..पर कम्वख्त उसका खयाल पीछा नही छोड़ता ।
रिस्क है यदि कोई और पढ़ ले तो
छोरो नही करना ये सब ।
क्या बिगाड़ा था आपका मैने भगवान ।
हां यही हु क्या हुआ बताओ तो ,
कुछ नही बाहर धूप बहुत है
हाँ तो पानी कुछ देर बाद पीना सर्दी हो जाएगी.... आते ही पानी पीने लगते हो ....ऐसे मौसम में सर्द गर्म हो जाता है
और किसने कहाँ था इतनी धूप में बिना मतलब के बाहर जाने केलिए
अरे माँ तुम तो एक बार मे ही कितनी सावल करने लगती हो ..
यही तो गया था
कहाँ ? अरे बाहर गया था कॉपी लानी थी ।
सर दर्द करने लगता है...
ऎसा दर्द जो vicks लगाने से कहाँ छूटता ।
दिल का दर्द है। दिमाग का थोड़ी है।
हां पाप जाऊंगा , देखते है
अरे देखते क्या है ? स्कूल में नही हो तुम अब कॉलेज में चले गए हो वो भी science ले लिए हो शुरु से ही ध्यान देना पड़ेगा , फाकी मत मारो अभी से ।
तुम्हारे सर से मैने बात क्या है तुमपे थोड़ा ज्यादा ध्यान दे ।
हर्ष - हां ठीक है पापा ।
इसका इन्फेक्शन एक बार लग गया तो कभी भी शरीर से जाता नही है । कैंसर का केमो थरेपी होता है इसका भी हो जाता तो कितना अच्छा होता एक शॉक लगाने से सारी फीलिंग्स जल जाती और ताउम्र केलिए छुटकारा मिल जाता ।
मुझे क्या पता था कि उसको ज्यादा नंबर आजाएगा और वो दूसरे शहर चली जयेगी पढ़ने केलिए ।
तनु भी हद निकली बताई भी नही कुछ ,एक बार बताई थी पेपर से पहले ऐसे ही , पर मुझे तो मज़ाक लगा था ।
अब पता चल रहा है मुझे ।
तनु की यादें उसे अंदर ही अंदर खोखला बना रहा था ,
अब की तरह कहाँ पहले सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्स एप्प था ,
महसूस करना ही किसी को तो मोहब्बत है
हर्ष की एहसासों की दीवानी थी तनु
दूर बहुत थी फिर भी बहुत पास थी तनु
प्रेम को कौन परिभाषित कर सकता है ? कोई नही ।
वो गीत याद आता है मुझे गुलज़ार साहब का लिखा था , लाता जी ने गाई थी । खामोशी नाम था सिनेमा का ..
हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो सिर्फ़ एहसास है ये रूह से एहसास करो प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो....
किसी का एहसास हो जाये और रूह उसे महसूस कर ले उसको , यही तो प्यार है..
सम्बन्ध खून का कहाँ होता है बस एहसास का ही तो होता है ।
रवि आनंद ।
Thursday, 1 December 2016
माँ मेरी
देख कर आँखों को वो समझ ले वो आशुओ को भी मेरी
लफ्जों की औकात कुछ नहीँ खामोशियों के आगे
ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी
जिसको पता हैं मेरा स्वाद क्या हैं
जिसको पता हैं मेरी जरूरतें क्या हैं
जिसको मेरे छीकने भर से डर लगने लगती हैं
जिसको मेरी लाखों गलतीयां बस एक बचपना लगती हैं
मैं क्या हूँ वास्तव में ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी
मुझे कुछ दिलाना हो तो वो पापा को मनाती हैं
समझाती हैं वो उन्हें कि मेरी ज़रूरतें क्या हैं
चाहे लेनी हो फ़ोन चाहे कपड़े
मेरी माँ पापा से मेरा सारी बिल पास करवाती हैं
फ़ोन पे बोल लूँ मैं झूठ , कि ठीक हूँ मैं
आवाज़ सही करने का नाटक करने लगू मैं
आवाज़ की आहट भर से वो समझ जाती हैं
पता नहीं वो कैसे मेरी तकलीफ को
फिर डांट कर पूछती हैं दावा खाया की नहीँ तू
लफ्जों की औकात कुछ नहीँ खामोशियों के आगे
ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी......
Saturday, 15 October 2016
तू चीनी कि तरह मीठी.....
पहले सिद्ध करो बे !
भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...
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आज शाम से फ़िर यादें जवान है , हर गीत के अल्फ़ाज़ों में उनको ढूंढना जारी हैं , कलम से कागज पर हर एक शब्द में उनकी एहसास को उतारी जा रही है ,...
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दिल के टाइमलाइन पर तुम्हारी तस्वीर ऐसे टैग हो गई है जैसे आसमा में चाँद। काश मैं तुम्हें रिमूव कर पाता ,अन-इनस्टॉल कर पाता । प्रेम के आगे व...
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तुम मम्मी को माँ बुलाते हो ? हां , मैं माँ को माँ ही बोलता हूं 😊 माँ , को मम्मी भले रिप्लेस कर रही हो पर जो सुकून हिन्दी में म...