जज्बातों को समेट कर एक पन्ने पर लिख कर लाया हूँ
पोस्ट कर दू या ना करू सोच में पड़ा हूँ
अपने आप से गुफ़्तगू कर रहा हूँ
सवालो की वारिश हो रही है मन मे ..पर कम्वख्त उसका खयाल पीछा नही छोड़ता ।
रिस्क है यदि कोई और पढ़ ले तो
छोरो नही करना ये सब ।
ऐसा क्यों होता है जब दो लोग बे इन्तहां मोहब्बत करते हैं एक दूसरे को तो भगवान धोका दे देते हैं ।
क्या बिगाड़ा था आपका मैने भगवान ।
(हर्ष अपने आप से कहता है और पोस्ट ऑफिस से घर वापस चला आता है। )
माँ माँ नही हो क्या ?
हां यही हु क्या हुआ बताओ तो ,
कुछ नही बाहर धूप बहुत है
हाँ तो पानी कुछ देर बाद पीना सर्दी हो जाएगी.... आते ही पानी पीने लगते हो ....ऐसे मौसम में सर्द गर्म हो जाता है
और किसने कहाँ था इतनी धूप में बिना मतलब के बाहर जाने केलिए
अरे माँ तुम तो एक बार मे ही कितनी सावल करने लगती हो ..
यही तो गया था
कहाँ ? अरे बाहर गया था कॉपी लानी थी ।
( हर्ष झूठ पर से झूठ बोल रहा है वास्तविकता तो कुछ और ही थी जो वो किसी और से बता नही सकता था )
'' दिल मे कुछ बात ऐसी दबती है और उसको बहुत दिनों के बाद बाहर निकालो तो आंखों से बूंदा बांदी अपने आप शुरू हो जाती है''
सर दर्द करने लगता है...
ऎसा दर्द जो vicks लगाने से कहाँ छूटता ।
दिल का दर्द है। दिमाग का थोड़ी है।
हर्ष तुम आज ट्यूशन नही जाओगे क्या ?
हां पाप जाऊंगा , देखते है
अरे देखते क्या है ? स्कूल में नही हो तुम अब कॉलेज में चले गए हो वो भी science ले लिए हो शुरु से ही ध्यान देना पड़ेगा , फाकी मत मारो अभी से ।
तुम्हारे सर से मैने बात क्या है तुमपे थोड़ा ज्यादा ध्यान दे ।
हर्ष - हां ठीक है पापा ।
(अब पापा को कौन समझाए की जिसके साथ मेरी केमेस्ट्री जम चुकी थी वो ही नही है अब तो ट्यूशन जा कर के क्या करूँगा।)
"फीलिंग्स का रिएक्शन बहुत फ़ास्ट होता है सब कैमिकल फैल है इसके सामने ''
इसका इन्फेक्शन एक बार लग गया तो कभी भी शरीर से जाता नही है । कैंसर का केमो थरेपी होता है इसका भी हो जाता तो कितना अच्छा होता एक शॉक लगाने से सारी फीलिंग्स जल जाती और ताउम्र केलिए छुटकारा मिल जाता ।
हर्ष - मैं साइंस ले कर फस चुका हूँ फालतू में ले लिया 62% मार्क्स कैसे आया टेंथ मे मैं जानता हूँ ।
मुझे क्या पता था कि उसको ज्यादा नंबर आजाएगा और वो दूसरे शहर चली जयेगी पढ़ने केलिए ।
हिटलर हैं उसका बाप भेज दिया शहर ,कुछ भनक भी नही लगा ।
तनु भी हद निकली बताई भी नही कुछ ,एक बार बताई थी पेपर से पहले ऐसे ही , पर मुझे तो मज़ाक लगा था ।
सच मे चली गई , लड़की की बातों को कभी casually नही लेनी चाहिए ।
अब पता चल रहा है मुझे ।
हर्ष टूट सा चुका था कहाँ ।
तनु की यादें उसे अंदर ही अंदर खोखला बना रहा था ,
अब की तरह कहाँ पहले सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्स एप्प था ,
फिर भी लोग मोहब्बत करते थे ।
महसूस करना ही किसी को तो मोहब्बत है
हर्ष की एहसासों की दीवानी थी तनु
दूर बहुत थी फिर भी बहुत पास थी तनु
प्रेम को कौन परिभाषित कर सकता है ? कोई नही ।
वो गीत याद आता है मुझे गुलज़ार साहब का लिखा था , लाता जी ने गाई थी । खामोशी नाम था सिनेमा का ..
हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो सिर्फ़ एहसास है ये रूह से एहसास करो प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो....
प्यार का नाम क्या है ? कुछ नही बस किसी का एहसास....
किसी का एहसास हो जाये और रूह उसे महसूस कर ले उसको , यही तो प्यार है..
सम्बन्ध खून का कहाँ होता है बस एहसास का ही तो होता है ।
रवि आनंद ।