Tuesday, 17 September 2019

किसी को समझना एक कला होता है पर सब कलाकार कहाँ होतें हैं .......

उसने चिठ्ठी में लिखा था , की हां मैं ठीक हूँ
पर वो समझ गई थी उसके जज्बात को
वो समझ गई थी लिखावट की उदासी को
कुछ ऐसा समझ था दोनो के प्रेम में



किसी को समझना एक कला होता है
पर सब कलाकार कहाँ होतें हैं .......
पर वो तो कलाकार थी
सब समझ जाती थी ।


रवि आनंद

Friday, 13 September 2019

टिप टिप बरसा पानी और फेमिनिस्म ।

टिप टिप बरसा पानी पर लेख लिखने का मन कर रहा है पर थोड़ा डर भी लग रहा है कि कोई महिला विरोधी ना घोषित कर दें। अभी फेमिनिस्म अपने शबाब पर है , दीपिका पादुकोण जैसी विश्वविख्यात अभिनेत्री वीडियो संदेश जारी कर के महिलाओं के बीच में जागरूकता फैला रही हैं और बता रही हैं "my body my choice" अर्थात मेरा शरीर मेरी पसंद ।  ये इक्कीसवीं सदी की नारी सशक्तिकरण है जिसमे यदी आप महिला हैं तो आपको क्या पहनना है इसपे आपको सबसे पहले आवाज उठानी पड़ेगी तब जा कर आपका फेमिनिस्ट की विचारधारा सिद्ध होगी । "वस्त्र का आधार" फेमिनिस्म की मुख्यधारा में आती है और ये महिलाओं की समकालीन होने को दर्शाती है।

चलये अब टिप टिप वर्षा पानी के पृष्टभूमि की व्याख्या करते हैं। तब अक्षय कुमार इतने देश भक्त नहीँ हुआ करते थे और रवीना टंडन भी उतनी फेमिनिस्ट नहीँ थी , क्योंकि उस वक्त ट्वीटर जैसी आभासी दुनिया का उद्भव नहीं हुआ था , लोगों की अभिव्यक्ति व्यक्त करने का साधन सीमित था ।

मोहरा फ़िल्म का ये एक ऐसा गीत था जिसने 90 के दशक  में लड़कों को मानो रिप्रोडक्शन का पूरा चैप्टर पढ़ा दिया हो । 500 P की quality में भी ये गीत का वीडियो 1080 P का दिखता था ,ये लोगों क़ा श्रृंगार रस के प्रती आकर्षण था या रवीना टंडन की नृत्य की प्रतीभा, ये मालूम नहीं । मुझे ऐसा लगता है इस गीत के बाद भारत में शिफॉन की साड़ीयों की विक्री में घातीय विर्द्धि हुई होगी ।
https://youtu.be/PAQYnne4Yn4

हिन्दी गीतों में कभी कभी ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्त्रियों के शरीर को एवं स्त्रियों की सुंदरता को आलू की सब्जी की तरह उपयोग किया गया हो । सिर्फ इस गीत में ही नहीं बल्की इस जैसे हजारों गीत ऐसे होंगे जिसमे बहुत ही सांस्कृतिक तरीके से शरीर की सुंदरता का वर्णन किया गया है।
ये भीगी रात, ये भीगा बदन, ये हुस्न का आलम
ये सब अन्दाज़ मिल कर, दो जहां को लूट जायेंगे ....
ये कितना सभ्य और सांस्कृतिक साउंड कर रहा है।

अल्का याग्निक की आवाज रवीना टंडन के निर्त्य पर एकदम सटीक बैठ रही थी , ऐसा प्रतीत हो रहा था गीत का हर एक लफ़्ज़ को वही गा रही हैं। उदित नारायण की आवज भी पेट्रोल नुमा बारिश की आग को और भड़काने में अक्षय कुमार को पूरा मदद कर रहा था । आनंद बक्शी ने इस गीत को लिखते समय अपना कोई कसर नहीं छोड़ा , हर एक बोल को रिप्रोडक्शन की चैप्टर में प्रजन्न क्रिया की थ्योरी की तरह पस्तुत किया । ये हे आ हा हा.. आ हा आहा..  डू डू डू डू डूबा , ऐसे बोल इस गीत के गवाह हैं। इस गीत के संगीतकार विजू शाह  ने भी कोई कसर नहीं छोड़ा था , उन्होंने भी अपना पूरा सारे , गामा , सुर एवं ताल को पूरे तन मन के साथ इस गीत केलिए झोंक दिया था , जो रवीना टंडन और अक्षय कुमार के पात्र को गीत के धुन के माध्यम से पूर्ण रूप से निखार कर रख दिया था ।

इस गीत के नृत्य में रवीना टंडन और अक्षय कुमार आपस में कई बार ऐसे टकराते हैं , जैसे कि भारत और पाकिस्तान के मैच में अफरीदी और गौतम गंभीर आपस में टकराये थे। मानो अक्षय कुमार और रवीना टंडन के बीच सर्जिकल स्ट्राइक हो रहा हो ।


हम आज-कल के गीतों पर प्रतिक्रिया देने से कभी नहीं चूकते पर हमारा इतिहास यही रहा है । ऐसे गाने हर दिन बन रहे हैं । परन्तु कभी इसका विरोध किसी महिला को भी नहीं करते देखा  , बल्की हनी सिंह जैसे रैपर के गीत पर लड़कियों को थिरकते देखा है जो कि अपने रैप में लड़कियों को कमोडिटी की तरह उपयोग करते आए हैं फिर भी उनकी लाखों लड़कियां फैन हैं ... I swear choti Dress me bomb lagti menu  जैसी लाइन लड़कियों को कॉम्प्लिमेंटस जैसा लगता है। परन्तु '' वस्त्र के आधर'' पर इन्हीं को कोई सुझाव मात्र दे दे तो ये फेमिनिस्म को बीच में लाने से कभी नहीं चूकती और '' my body my choice''  जैसे स्लोगन को कोट करने लगती हैं। पर जहाँ पर इनको अपना फेमिनिस्म दिखना चाहिए वहाँ पर ये एकदम खामोश सी हो जाती हैं।  बेबी मारवा के मानेगी Raftaaaaar..... के रैप को कान में इयर प्लग लगा कर सुनना और इसको कॉम्प्लिमेंटस स्वरूप लेना ये कैसे फेमिनिस्म है ? कमाल है ना ? ये सिर्फ और सिर्फ इस देश में ही संभव हो सकता है।
रवि आनंद

Monday, 9 September 2019

हर्फ़ || रवि आंनद

हर्फ़ को धागों में पिरोने की कोशिश की है
फिर से तुम्हें कागज़ पर उतारने की कोशिश की है


हर एक लिखी हर्फ़ में मैंने तुमसे कोई बात की है
उफ़्फ़ मैंने कितनी शिद्दत से तुमसे मोहब्बत की है



तुम्हारे लिए हर एक लिखी हर्फ़ में मैंने इबादत की है
मोहब्बत तुमसे सीखा था मैंने उस कर्ज की अदायगी की है


आज फिर से मैंने आँखों को नम की है
तब जा कर इस ग़ज़ल को मैंने मुकम्मल की है




रवि आनंद






संशोधित करने केलिए प्रशांत झा का आभार 

Monday, 2 September 2019

अब मुझे भी बेवफ़ाई करने का मन कर रहा है || रवि आंनद

तुम्हें उसी राह पे छोड़ दूं
तुम्हें बेइन्तहां मोहब्बत कर के फिर तुम्हारे दिल को तोड़ दूं

तुम्हें एक उम्मीद दूं , फिर मैं वो उम्मीद को तोड़ दूं
तुम्हें अपना बना लूं , फिर किसी औरों से मैं रिश्ता जोड़ लूं

तुम्हें दिल में बसा के फिर से वो दिल को मैं पत्थर बना लूं
तुम्हें मैं चाँद औऱ आफ़ताब कहूँ , फिर मैं रौशनी से किसी औऱ को भर दूं

तुम्हें मैं पानी सा ज़रूरी समझूं फिर मैं तुम्हारे आँखों में पानी की वजह बन जाऊं

अब मुझे भी बेवफ़ाई करने का मन कर रहा है
हां है ये रंजिश पर मुझे तुझसे नफ़रत करने का मन कर रहा है

मैं भी इंसान हूँ , मुझे भी इंसानियत निभाने का मन कर रहा है.....

रवि आनंद

Friday, 24 May 2019

कभी आना यूँ ही

वो लम्हा को ढूंढने मैं रोज निकलता हूँ
जिस लम्हें में तुमने वादा ता उम्र का किया था

तुमने कहा था मैंने सुना था
जुबां को खामोश कर के हमने ऐहसासों को सुना था

रूह से मुक्कमल कर के
हमने जिस्म को छोड़ा था

वो पल सालो में बदल गए
जुदा हुए ज़रूर हम लेकिन
हमदोनों ने ऐहसासों को जीवित कर गए

मेरे खून में तुम आज भी बेह रही हो
कभी आना यूँ ही

तो देखना मुझे  , तुम मेरी आँखों की पुतलियों में डगमगा रही होगी .....

रवि

Friday, 19 April 2019

एक सुबह !

एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा
तुम मुझे सोच रही होगी
तुम मुस्कुरा रही होगी
तुम उसके बाहों में लिपट कर मेरी धड़कनो को सुनने की कोशिश कर रही होगी

एक सुबह आधे आधे नींद में मैं तुम्हें याद आऊंगा

याद आऊंगा फिर दिन भर तुझमें मैं मैजुद रहूंगा
तुम भूलने की कोशिश करना
मैं तुम्हारे और करीब आऊंगा
जिद्दी हूँ मैं , मैं इतना जल्दी नहीं जाऊंगा

एक सुबह आधे आधे नींद में
मैं तुम्हें याद आऊंगा

रवि आनंद



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Thursday, 11 April 2019

दिल की गैलरी में तेरी अंगिनत यादें सेव हैं।


तुम्हारी मुस्कुराती हुई तस्वीरों को मैंने कई दफा अपने आँखें से ऐसे कैद किया जैसे कि मैं कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर हूँ। और वो तस्वीर दिल की गैलरी में एक दम सुरक्षित और सेव हैं। यादों का बैकअप कमाल का होता है लेकिन । डिलीट का कोई ऑप्शन ही मौजूद नहीं है। काश डिलीट का ऑपशन होता तो कितना अच्छा होता ना ?

तुम्हारी बचकानी हरकतों वाली तस्वीरों को मैंने सबसे ज्यादा कैद कर के रखा हुआ है। तेरा वेवजह रूठ जाना और ज्यादा कुछ देर तक भाव नहीं देने पर तुम्हारा खुद व खुद मान भी जाना । उफ्फ , वो वक्त । वो बीते हुए वक्त के पन्ने को मैं दिन में एक न एक बार जरूर पलट ही लेता हूँ  , उसे देख ही लेता हूँ .. क्योंकि रिवीजन करना ज़रूरी है ना तुम्हारी यादों की... क्योंकि तुम भी कोई सवालों से कम नहीं हो मेरी ज़िंदगी में । तुम '' मिली और मिल के क्यूँ ना मिली''  खैर छोड़ो .... अब तुम नहीं करती होगी तो मैं क्या करूँ पर मैं तो करता हूँ। क्योंकि मुझे पता है कि तुम मुकम्मल हो मुझे ,  मेरा इश्क़ मुकम्मल है मुझे  ''रूह'' से है , बदन से नहीं ।

सुना है तुम बहुत बिजी रहती हो , अच्छी बात है रहना भी चाहिए । तुम बोलती भी थी की मैं बहुत स्ट्रांग हूँ तब मुझे मज़ाक सा लगता था , मैं तुम्हारा मज़ाक भी उड़ाता था कि 45 किलो की लड़की क्या स्ट्रांग होगी । पर मज़ाक नहीं यार तुम तो स्ट्रांग नहीं एकदम कठोर निकली। कहीं मिल जाओगी कभी तो मैं तुमसे माफी मांग लूंगा की तुमको मैंने कम आँका ,अंडरएस्टिमेट किया । तुम सच में बहुत स्ट्रांग हो एकदम पत्थर के माफ़िक ।

देखो मुझे कोई शिकायत नहीं है तुमसे। शिकायत तो अपनो से होती है ना ? और तूम तो अपने हो नहीं  ...फिर मैं  शिकायत का आवेदन क्यूँ भरु । जब आखँ भर आता है कभी - कभी तो जम के बरस लेता हूँ , दिल का बोझ को हल्का कर लेता हूँ। क्यूंकि " शिकायतें है ही नहीं ज़िंदगी में , ज़िन्दगी है ही नहीँ ज़िंदगी में । अब मेरा ज़िंदगी कौन है , शिकायत मेरा कौन है तुम इसपे ध्यान मत दो तु बिजी रहो ।

आख़िर में एक बात कहना चाहता हूँ , बिंदी लगाना भले ही भुल जाना तुम कोई बात नहीं , पर मुस्कुराना कभी भी मत भूलना तुम । क्योंकि जब -जब तुम मुस्कुराती हो तो मेरा रूह मुस्कुराता है। तुम्हें तो पता है कि मैं कितना बड़ा सेल्फिश इंसान हूँ पहले अपना फायदा हमेशा देखता हूँ , So please keep smiling 💓

रवि आनंद

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...