पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं -दुष्यंत कुमार
Thursday, 30 August 2018
राजीव चौक | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
Friday, 24 August 2018
Tuesday, 5 June 2018
एक खत अरिजीत सिंह के नाम | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
प्रिय अरिजीत सिंह ,
आप हर दर्द की मरहम हो , हर मर्ज की अर्ज हो , आप की गीत , गीत ही नहीँ आज की यूथ केलिए दवा है , उसकी भावना है।
इक्कसवीं सदी के प्रेम को आपने बखूबी समझा है , प्रेम "तुम ही हो " से शुरू होती है और " चन्ना मेरेया " पे जा के ख़त्म हो जाती है ।
"हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते तेरे बिना क्या वजूद मेरा" शुरुवात है तो .. " महफ़िल में तेरी हम ना रहे तो गम तो नहीं है , चर्चे हमारे नजदीकीयों के कम तो नहीं है '' और ये दिल की तस्सली है।
आपकी आवाज प्यार औऱ ब्रेकअप दोनो में साथ देती है।
प्लेलिस्ट आपके गाने के बिना अधूरा है , आपको किसी भी मूड में सुना जा सकता है , आपके गाने की आपके आवाज की सबसे बड़ी यही खूबी है। पार्टी में भी आपके गाने फिट हैं , ... कुड़ी नशे सी चढ़ गईं ए..... और दिल के टूटने पर ख़ैर आपकी गीत और आपकी आवाज की कोई जबाब ही नहीं है।
जब लगता है किसी को की उसकी कहाँनी अधूरी रह गई तब भी आपको ही सुनता है , " पास आए दूरियां फ़िर भी कम ना हुई , एक अधूरी सी हमारी कहाँनी रही " ।
जब किसी को लगता है कि इश्क़ करना खता है , तब भी आपका गया हुआ गाना उसे याद आजाता है " जीने भी दे दुनिया मुझे दुनिया मुझे इल्जाम ना लगा एक बार तो करते हैं सब कोई हँसी खता " । आपकी आवज हर मूड केलिए फिट है ।
इस सब के बीच जो आपके लिए गीत लिखते हैं उनका तहे दिल से शुक्रिया , उनका भी मेहनत उतना ही है ।
मिला जुला के देखा जाय तो दिल किसी का भी टूटे , फायदा आपका ही है , हमेशा महफ़िल आप ही लूट के ले जाते हैं ।
आपका जबरा फैन
रवि आनंद
Saturday, 19 May 2018
ॐ अथ श्री ब्लॉक कथा | इनबॉक्स यादें | लघुकथा
गुस्से वाली स्माइली के साथ 😀😂😳😈😠😡
प्रदर्शित चित्र ( D P ) भी नहीं दिख रहीं होती है , मैसेज तो कर रहें है पर उसमे एक ही टिक हो रहा है , परेशान हैं ।
या ये कहें कि प्रेम और सम्बन्ध टाइपोग्राफिकल हो गया हैं , इक्कीसवीं सदी में इज़हारे मोहबत बहुत ही इंस्टेंट है । लास्ट सीन पर सब कुछ निभर करता हैं , लास्ट सीन सबसे खतरनाक अविष्कार हैं ये कहें तो कोई गलत नहीं होगा । झगड़ा की जड़ की शुरूवात व्हाट्स एप्प पे यही से शुरू होता है।
कि तुम आए थे पर मुझे कोई मैसज नहीं किया
Thursday, 12 April 2018
जैसे मैं कोई सड़क हूँ !
और कोई काम नहीं है क्या तेरा ?
कभी भी आजाती हो बिना बताए
पहले से तो कुछ बताया करो ना की तुम आने वाली हो पर नहीं
आज से मैं कमरे के अंदर से ताला लगा कर रखूंगा तुम आवारा हो गई हो ए " यादें " कभी भी मन हुआ तुम आजाती हो टहलने जैसे मैं कोई सड़क हूँ ।
Wednesday, 21 March 2018
रात को यादें जवान होती है | लघुकथा
रात के बारह बज रहे हैं ,स्ट्रीट लाइट की रौशनी खिड़की से घर में झांक रही है , चाँद भी जाग रही है , तारे भी टिमटिमा रही हैं और मेरा मन भी किसी के एहसासों को ढूंढ़ने में व्यस्त है।
सबको कुछ ना कुछ काम मिल जाता है इस दुनियां में ,काम तो काम होता है और उसे करना ही होता है, ज़िन्दगी का सत्य यही है। मैं भी जो कर रहा हूँ वो काम ही है , अनुभव ही है।
जो काम मैं कर रहा हूँ ये थोड़ा अलग है , मतलब इसमे वो हासिल होता है जिसको आप ना तो बैंक में रख सकते हैं और ना ही अपने पॉकेट के पर्स में । मैं हर रात ये काम को चैन से करता हूँ और बहुत सुकून मिलता है मुझे ।
तकिये से मुँह छुपाना , कान में ईअर फोन लगाना फ़िर कोई एक ही गीत को रिपीट मोड पर सुनना ।
मैं रात को खास कर जगजीत सिंह जी को सुनता हूँ , जब उनकी कोई ग़ज़ल को गाते हैं तो ऐसा लगता है यादें परत दर परत खुल रही हो ,यादों की एलबम की पेज दिमाग में अपने आप पलटने लगती है । यादें जवान होने लगती है ।
तकिये का नींद से झगड़ा हुआ सा नज़र आता है मुझे , हर रात ,क्यूंकि बेचारी पर मैं सर नहीं उसमे मैं मुँह छुपा के सोता हूँ , आँखो से बारिश भी होती हैं ये बात तो बस मेरे तकिये को पता है।
शायद अब तीन बजने वाले हैं पर नींद का कोई अता पता नहीं है
चाँद भी सूरज का इंतजार कर रही है , और मैं नींद का , और नींद में ख़्वाब का , खाव्ब में उसके दीदार का ।
रवि आनंद
Friday, 29 December 2017
मैं दिल ,तुम गिटार आओ छेड़ दो मेरे दिल के तार ☺
मैं दिल , तुम गिटार
आओ छेड़ दो मेरे दिल के तार
तुम गीत , मैं अल्फ़ाज़
आओ एक मुखड़ा गा दो मेरे लिए यार
तुम गजल , मैं कागज
आओ , लिखता हूँ फिर कोई दिल की बात
तुम चाँद ,मैं सूरज
डूब जाता हूँ फिर तेरे लिए आज
तुम ही किताब , तुम ही अक्षर
जुड़ जता हूँ मैं तुझमे पन्ने की तरह ए यार
रवि आनंद
पहले सिद्ध करो बे !
भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...
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आज शाम से फ़िर यादें जवान है , हर गीत के अल्फ़ाज़ों में उनको ढूंढना जारी हैं , कलम से कागज पर हर एक शब्द में उनकी एहसास को उतारी जा रही है ,...
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दिल के टाइमलाइन पर तुम्हारी तस्वीर ऐसे टैग हो गई है जैसे आसमा में चाँद। काश मैं तुम्हें रिमूव कर पाता ,अन-इनस्टॉल कर पाता । प्रेम के आगे व...
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तुम मम्मी को माँ बुलाते हो ? हां , मैं माँ को माँ ही बोलता हूं 😊 माँ , को मम्मी भले रिप्लेस कर रही हो पर जो सुकून हिन्दी में म...