Friday, 29 December 2017

मैं दिल  ,तुम गिटार आओ छेड़ दो मेरे दिल के तार ☺

मैं दिल  , तुम गिटार
आओ छेड़ दो मेरे दिल के तार

तुम गीत  , मैं अल्फ़ाज़
आओ एक मुखड़ा गा दो मेरे लिए यार

तुम गजल , मैं कागज
आओ , लिखता हूँ फिर कोई दिल की बात

तुम चाँद  ,मैं सूरज
डूब जाता हूँ फिर तेरे लिए आज
 

तुम ही किताब , तुम ही अक्षर
जुड़ जता हूँ मैं तुझमे पन्ने की तरह ए यार

रवि आनंद

Monday, 25 December 2017

दिल में कब्ज ( constipation) की तरह ना जाने कितनी बाते अटकी हुई है !

साला ये ज़िन्दगी का क्या प्लान है समझ ही नहीं आ रहा , कुछ तो सही हो जाये मेरे साथ पर नहीं । शक्ल खराब है या किस्मत या दोनो कुछ पता ही नहीं चल पा रहा । कोई भी आ कर प्रवचन दे कर चला जाता है।

दिल में कब्ज ( constipation) की तरह ना जाने कितनी बातें अटकी हुई है पर बाहर नहीं आ रही है , बहुत कुछ कहना होता है जब सुनने वाला कोई नहीं होता , ऐसा क्यों होता है पता नहीं ।

मन टूटा है या दिल कंफ्यूजन में हूँ मैं , शायद मन ही टूटा है , दिल का टूटने में दोनों तरफ से कोई गलती होती है । ऐसा कुछ था नहीं , पर साला लक ने ऐसी की तैसी मार दिया , बस हम ख़्याली पुलाव पकाते रह गये खा कोई और गया ।

रोते रोते दोनो आँखे भी मेरी बोर हो चुकी है , आँखे भी लाल  हो कर मुझे गाली देती है मानो कहती हो अबे मुझसे फ्री में कितना काम करवाता है तू ।

इतना तरक़्क़ी कर गया साइंस ,पर कुछ खास उखाड़ नहीं पाया है , अभी तक कोई ऐसा एप्प नहीं बनाया जो यादों के मेमोरी कार्ड को पूरा फॉर्मेंट कर दे । internal memory running out भी हो जाता तो कितना अच्छा था पर पता नहीं इंसान का दिमाग कितने Terabyte का होता है।

साला प्यार वो इंफेक्शन है जो केन्सर से ज्यादा खतरनाक होता है , इसकी  कोई chemotherapy नहीं होती । होती तो कितनी अच्छी होती ना , शॉक लगा , लगा कर जला देते ।

पहला चैप्टर हर सब्जेक्ट का आसान होता है ,क्योंकि उसमें कोई ऑब्जेक्ट नहीं दिखता है सबका इंट्रोडक्शन होता है , बाद में पता चलती है, फिर फटती है सबकी । प्यार में भी as it is होता है।

मतलब वही की सफ़र खूबसूरत है मंज़िल से भी ।

ये यादों का कीडे का कोई उपाय नहीं है ये दिन पर दिन इंसान को अंदर से खोखला बनाती है , दारू पी लो या चरस किसी से भी नहीं उतरेगा ।

चेहरे के तासुर से तो बस मुझे वही समझता था जिसका पता तक मुझे अब नहीं मालूम । बाद बाकी लोग मुझे पढ़ने में लगे है लेकिन समझने में कोई नहीं ।

बहुत कुछ बोलना चाहता हूँ पर जो बात मन के भीतर मौन है वो बाहर नहीं आ रही है , वैसे किसके सामने बोलू वो भी एक सवाल है ।

आशिक़ों का उम्मीद कभी खत्म नहीं होता साहेब ,
एक दिन ख्वाब में मिलूँगा उस से सब बातें करूँगा ।

रवि आनंद

Saturday, 16 December 2017

किताबों पर धूल जमने से कहानी बदल नहीं जाती !

आज शाम से  फ़िर यादें जवान है ,
हर गीत के अल्फ़ाज़ों में उनको ढूंढना जारी हैं ,
कलम से कागज पर हर एक शब्द में उनकी एहसास को उतारी जा रही है ,
यादों के नूर से घर में रौशनी नज़र आ रही है ,
आंखों के नोर से बारिश की खनक की आवाज सुनाई दे रही है।

रेडियो में बज रही जगजीत सिंह की ग़जल यादों को गर्म कर के दिल में आंच डाल रही है।
ऐसा लग रहा है वो मेरे लिए गा रहें है।

" कोई ये कैसे बता ये के वो तन्हा क्यों है ?
 वो जो अपना था ही और किसी का क्यों है ?
 यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है ?
यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों है ? "

 ग़जल सिर्फ कोई गीत नहीं होती है , शायर उसे आँखो से निकले मोती की मालों की तरह गुथता है , कैफ़ी आज़मी का शब्दों ने यादों के महफ़िल में चार चाँद लगा दिए हैं।

आज बहुत सारी किताबे भी पढ़ी हर शब्द में उसे ढूंढा वो मिली भी थी , पढ़ते पढ़ते गुलज़ार साहब की वो शेर याद आ गई
" किताबों पर धूल जमने से कहानी बदल नहीं जाती "

कहनी मेरी भी वही है धूल जम गई है
स्थिर हो गई है
अधूरी है पर कहानी तो है।

रात हो गई है अब शायद
सो जाते है
उसे खव्बों में भी ढूंढना है ।

रवि आनंद

Friday, 8 December 2017

कहानी हर रात की मेरे जज्बात की !

कितने दफे करवट  बदला
कितने दफे सिरहाने से फ़ोन को टटोला
कोई लाइट फ़ोन में नहीं जल रही थी
इसी समय तो उसका फ़ोन आता था
आँख बंद में भी कमबख्त दिख रही है
आँख खुले में फ़ोन की गैलरी के आइकॉन पर हाथ चला जाता है
तस्वीर कितने दफे देखु
कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे
रोज का यही हाल हैं मेरा
कभी उठ के बैठ जाता हूँ मैसेज चेक करने की वे वजह आदत हो गई है मुझे
पुराने चैट को उँगली से ऐसे ऊपर निचे कर रहा हूँ ,
लग रहा है उसके हाथों को उँगलियों से टटोल रहा हूँ मैं मुसकुरा भी रहा हूँ अपनी तसल्ली वाली बेवकूफी पर
सब एहसास का ही तो खेल है
पर कब तक चलेगा ये उम्मीद और आशा का खेल
रोज रोज यही
ना कभी कोई मैसेज की आवाज़ आती हैं उस वक़्त
ना ही कोई फ़ोन
नेट महँगे हो गई हैं पर ना जाने कौन सा उम्मीद लिए बैठा हूँ मैं कभी फ़ोन का डाटा ऑफ नहीं करता ,
सोचता हूँ क्या पता कोई मैसेज आजाए ।
क्यों नहीं मैं पुराने चैट को डिलीट कर देता
रोज रोज उसे पढ़ना और रोना ज़िन्दगी हो गया है मेरा
क्यों कर रहा हूँ मैं ऐसा ,
किया मिलेगा मुझे ये सब कर के
कुछ समझ नहीं आ रहा सब समझ के परे है मेरे
खुद पर अब गुस्सा आता हैमुझे
मन से कहता हूँ की कुछ नहीं रखा है ये उम्मीद और इंतज़ार में
पर इसे कौन समझाए ये तो कुछ समझता ही नहीं क्या करूं मैं ? किसको बताऊँ मैं ? किसी को बता भी नहीं सकता अपनी कहाँनी
सब हँसेंगे ही ...
अच्छा छोड़ो कुछ दिन में मैं भी प्रोफेशनल हो जाऊंगा  जो चल रहा है चलने देते है।
वो किसी ने सही कहा था " routine life is very Dangerous "  मेरा भी routine हो गया है ये , कहीं Dangerous ना हो जाए मेरे लिए ।
By Ravi Anand
#inboxyaaden
#Ravianand
#Story

Thursday, 23 November 2017

रात को जब मैं नींद में रहूँ !

रात को जब मैं नींद में रहूँ
क्या तुम उस नींद की ख़ाब बनोगी
मुझे अंधेरे से डर लगता है
क्या तुम मेरी रौशनी बनोगी
जब मेरी धड़कने बढ़ने लगे अचानक से
मैं डर के घबराने लगू
क्या तुम मेरी दिल बनोगी
मैं कुछ कहना चाहूँ
पर मेरे पास लफ्ज़ नहीं हो
क्या तुम मेरी अल्फ़ाज़ बनोगी
मैं नींद में हूँ तुम ख़ाब में हो
नींद टूटने से पहले बतादो
आखरी बार मेरी बनोगी ।
रवि आनंद

Tuesday, 31 October 2017

जब प्यार होता है किसी से !

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने कोरे कागज पर गजल लिख दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है किसी ने
खुले आँखो में कई ख़्वाब भर दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने उम्मीद की किरणें जगा दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने हाथ पकड़ के ज़िंदगी भर केलिए साथ देने का वादा कर लिया हो ।

रवि आनंद

Tuesday, 3 October 2017

बताओ ना तुम उससे भी ऐसे ही प्यार करती हो क्या ? जैसे मुझसे क्या करती थी बताओ ना !

तुम उसे भी वैसे ही प्यार करती हो
जैसा मुझे किया करती थी ?
तुम उसे भी कहती हो की oye हँस भी लिया कर
हँसने का कोई पैसा नहीं लगता है ?

जब तुम उसे फोन करती हो और वो फोन उठा लेता है
तो तुम उसे भी डाटती हो जैसे मुझे डाटती थी और कहती थी
तुझे पता नहीं है क्या की मेरे फोन में बैलेंस नहीं रहता है।

तुम उसे भी अपने हाथों में मेहेंदी लगा कर दिखाती हो और कहती हो तुमने प्यार करना कम कर दिया है इस बार मेहंदी लाल नहीं हुई ।
वेवजह मुझसे रूठ कर प्यार करवाने की कोशिश क्या तुम उसके साथ भी करती हो क्या जैसा मेरे साथ करती थी ।

तुम उसके साथ भी घंटो बक बक करती हो फोन पर जैसे मेरे साथ किया करती थी और मेरे ना कुछ बोलने पर सुन भी रहे हो क्या ? बताओ तो मैंने 2 मिनट पहले क्या बोला था बताओ तो उससे भी पूछती हो क्या  ?

वो क्या तुम्हारे सपने में आता है क्या जैसे मैं आता था और तुम उसे सुबह उठ कर बताती हो क्या की मैंने तुम्हारा सपना देखा आज ?

तुम अचानक से उसे भी गले लगा कर सर चुम लेती हो क्या , चलते चलते अचानक से उसके हाथों को थाम लेती हो क्या जैसे मेरे हाथों को थाम लेती थी और पूछती थी मुझे छोड़ कर तो नहीं कहीं जाओगे तुम ?

बताओ ना तुम उससे भी ऐसे ही प्यार करती हो क्या ? जैसे मुझसे किया करती थी बताओ ना !

और कुछ पूछू क्या सवाल बहुत है मेरे पास तुम जहाँ भी हो जबाब जरूर देना मैं इंतज़ार कर रहा हूँ मैं तेरा
क्योंकि
 इंतज़ार आज भी है कि तू लौट कर आएगी
उम्मीद के दीये इश्क़ में कभी नहीं बुझते ।

रवि आनंद

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...