* जो "पानी" सा ज़रूरी था
जिन्दा रहने केलिए
वो आँखों "पानी" की वजह बन गया
* जो "हवाओं" सा ज़रूरी था
सास लेने केलिए
वो "हवाओं" की तरह अपना रुख मोड़ लिया
* जो मेरा "सफ़र" था
जो मेरा मंज़िल था
वो किसी और का "हमसफ़र" बन गया ।
रवि आनंद
पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं -दुष्यंत कुमार
* जो "पानी" सा ज़रूरी था
जिन्दा रहने केलिए
वो आँखों "पानी" की वजह बन गया
* जो "हवाओं" सा ज़रूरी था
सास लेने केलिए
वो "हवाओं" की तरह अपना रुख मोड़ लिया
* जो मेरा "सफ़र" था
जो मेरा मंज़िल था
वो किसी और का "हमसफ़र" बन गया ।
रवि आनंद
धान और गेहूं कि खेती चार- पाँच साल से ठप है, वैसे तो खेती ही ठप है लेकिन धान और गेहूं को खेती में ज्यादा प्रमुखता दी जाती है। इस दोनों फसलों को उपजाने केलिए सबसे ज्यादा पानी कि जरूरतें परती है।
दमकल लगा कर खेती किसान अपने पेट भरने केलिए तो कर सकता है लेकिन दूसरे का पेट इससे नहीं भरेगा । किसान हमेशा दूसरों का पेट भरने केलिए किसानी करता है। दमकल लगा कर क्विंटल में उपजाया जा सकता है टन में नहीं ।
जिस दिन किसान सिर्फ अपने पेट भरने के बारे में सोचेगा तो क्या हाल होगा ? आप एक मिनट खर्च करके कल्पना कर सकते हैं। आप यदि इस भूल में हैं कि आपके पास पैसा हैं तो पैसे को आप चबा नहीं सकते और पर्स में डेबिट और क्रेडिट कार्ड रखने से पेट नहीं भर जाती है।
आप ज्यादा दिन बर्गर , पिजा खा कर नहीं रह सकते हैं क्योंकि ये सब तभी अच्छा लगता हैं जब पेट भरा हुआ हो । तो इस भ्रम से बाहर आईए ।
किसान का दर्द कौन समझ सकता हैं ? ये सबसे बड़ा प्रश्न है। क्या कोई नेता किसान का दर्द समझ सकता हैं ? क्या कोई कंपनी का मालिक किसान का दर्द समझ सकता हैं ? क्या आप जो शहर के मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हैं सुबह घर से जाते हैं रात को घर वापस आते हैं क्या आप किसान का दर्द समझ सकते हैं ? जी बिलकुल भी नहीं !
आप शहर के लोग जब किसान का दर्द नहीं समझ सकते हैं तो बाद बाकियों से क्या उम्मीद रखें । आप दफ़्तर से थके हारे घर आते हैं, आपको तो अपने बच्चों , विवि से ठीक से मिलने का मौका का नहीं मिल पाता हैं , 9 बजे दफ्तर जाते हैं और 8 बजे घर वापस आते हैं तो आप किसानों के बारे में कब सोचेंगे ।
लेकिन आप के डायनिंग टेबल का ताज पेशी जिससे बढ़ती हैं उमसे आपकी घरवाली के हाथ से ज्यादा किसी किसान कि कड़ी धूप की मेहनत होती हैं।
लेकिन आप ये सब बात नहीं सोचते क्योंकि आपने जो बासमती चावल और अरहर कि दाल बस एक कार्ड स्वैप कर के खरीद लिया किसी मॉल में जाकर । आप केलिए सब सिंपल हैं क्योंकि आपके पास पैसा हैं।
मुझे नेताओं से उम्मीद नहीं हैं चाहे वो किसी भी दल का नेता हो , नेताओं को राजनीति करनी हैं उनका ये प्रोफ़ेसन हैं । वो हिन्दू , मुसलिम करेंगे , दलित- दलित करेंगे और किसानों का इस्तेमाल कर के राजनीति का रोटी सकेंगे ।
किसान आत्महत्या करेगा तो उसके घर जाएंगे फोटो खिंचवाएंगे ओर फेसबुक पर पोस्ट कर देंगे । मीडिया में आ जाएंगे जो काम था उसमें वो सफल हो गये।
या कुछ नेता ट्विटर पर गप्प छोड़ते , एयरकंडीशन स्टूडियो में बैठ कर डिबेट ( कुकरा कटाउज ) करते नज़र आ जाएंगे , मीडिया और नेता दोनों का काम बन गया । मीडिया को टॉपिक और नेताओं को एक स्टेटमेंट देने का मौका ।
तो सोचिए एक बार कि , पैसा पॉकेट में होने भर से पेट नहीं भरता है उसी तरह जिस तरह समंदर के किनारे खड़ा भर होने से प्यास नहीं बुझती है।
रवि आनंद
इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती
यादों से कभी जुदाई नहीं मिलती
गिरफ्त में दिल है आज भी उसके
जो मुझे छोड़ कर चला गया
ए खुदा तुझे जुदाई भी देनी नहीं आती
मुसलसल मुलाकात होती हैं रोज रोज
ऐसा क्यूँ लगता है मुझे
वो ख्वाबों में आना भी बंद नही करती
इंतिज़ार आज भी हैं कि वो लौट कर आएगी
उम्मीद के दिये कभी इश्क़ में नहीं बुझती
इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती ।
1. " You are my life I can't live without you "
He said.
'' Life has no guarantee "
She replied.
2. " Kiska phone aaya tha "
Mom asked strictly.
" Class mate thi mom "
Heart replied Soulmate.
3. " There was a time when
I was wallpaper of your
phone "
" Now I'm not even in your contact list of
Your phone "
How time flies.
4. " You have no any how much I love you "
He said.
" One idea can change my life "
She replied.
5. " I love you "
But Back space save the friendship.
भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...