Thursday, 23 November 2017

रात को जब मैं नींद में रहूँ !

रात को जब मैं नींद में रहूँ
क्या तुम उस नींद की ख़ाब बनोगी
मुझे अंधेरे से डर लगता है
क्या तुम मेरी रौशनी बनोगी
जब मेरी धड़कने बढ़ने लगे अचानक से
मैं डर के घबराने लगू
क्या तुम मेरी दिल बनोगी
मैं कुछ कहना चाहूँ
पर मेरे पास लफ्ज़ नहीं हो
क्या तुम मेरी अल्फ़ाज़ बनोगी
मैं नींद में हूँ तुम ख़ाब में हो
नींद टूटने से पहले बतादो
आखरी बार मेरी बनोगी ।
रवि आनंद

Tuesday, 31 October 2017

जब प्यार होता है किसी से !

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने कोरे कागज पर गजल लिख दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है किसी ने
खुले आँखो में कई ख़्वाब भर दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने उम्मीद की किरणें जगा दिया हो

जब प्यार होता है किसी से तो लगता है
किसी ने हाथ पकड़ के ज़िंदगी भर केलिए साथ देने का वादा कर लिया हो ।

रवि आनंद

Tuesday, 3 October 2017

बताओ ना तुम उससे भी ऐसे ही प्यार करती हो क्या ? जैसे मुझसे क्या करती थी बताओ ना !

तुम उसे भी वैसे ही प्यार करती हो
जैसा मुझे किया करती थी ?
तुम उसे भी कहती हो की oye हँस भी लिया कर
हँसने का कोई पैसा नहीं लगता है ?

जब तुम उसे फोन करती हो और वो फोन उठा लेता है
तो तुम उसे भी डाटती हो जैसे मुझे डाटती थी और कहती थी
तुझे पता नहीं है क्या की मेरे फोन में बैलेंस नहीं रहता है।

तुम उसे भी अपने हाथों में मेहेंदी लगा कर दिखाती हो और कहती हो तुमने प्यार करना कम कर दिया है इस बार मेहंदी लाल नहीं हुई ।
वेवजह मुझसे रूठ कर प्यार करवाने की कोशिश क्या तुम उसके साथ भी करती हो क्या जैसा मेरे साथ करती थी ।

तुम उसके साथ भी घंटो बक बक करती हो फोन पर जैसे मेरे साथ किया करती थी और मेरे ना कुछ बोलने पर सुन भी रहे हो क्या ? बताओ तो मैंने 2 मिनट पहले क्या बोला था बताओ तो उससे भी पूछती हो क्या  ?

वो क्या तुम्हारे सपने में आता है क्या जैसे मैं आता था और तुम उसे सुबह उठ कर बताती हो क्या की मैंने तुम्हारा सपना देखा आज ?

तुम अचानक से उसे भी गले लगा कर सर चुम लेती हो क्या , चलते चलते अचानक से उसके हाथों को थाम लेती हो क्या जैसे मेरे हाथों को थाम लेती थी और पूछती थी मुझे छोड़ कर तो नहीं कहीं जाओगे तुम ?

बताओ ना तुम उससे भी ऐसे ही प्यार करती हो क्या ? जैसे मुझसे किया करती थी बताओ ना !

और कुछ पूछू क्या सवाल बहुत है मेरे पास तुम जहाँ भी हो जबाब जरूर देना मैं इंतज़ार कर रहा हूँ मैं तेरा
क्योंकि
 इंतज़ार आज भी है कि तू लौट कर आएगी
उम्मीद के दीये इश्क़ में कभी नहीं बुझते ।

रवि आनंद

Friday, 1 September 2017

मई से नवंबर कर रहे हैं हम दोनों......( सीए स्टूडेंट की प्रेम कहानी )| लघुकथा

वो जो तुम बाल को खोल लेती  हो अचानक से
बांधने केलिए ,

जब बाल तुम्हारे मुँह पर आ जाती  है
जब तुम उसको समेट के कान के पास रख देती हो ,
मुझे वो बहुत अच्छा लगता है ।
बताया नहीँ कभी  तुमको पर प्यार मुझे तेरी इसी अदा पर आया था ।

स्कूल बस में तुम खिड़की के साइड वाली शीट पर बैठती थी तुम मुँह बाहर किये पता नहीं क्या देखती रहती थी , तेरे बाल हवा में उड़ते रहते थे । मैं ड्राइवर के पास में जो शीट होता है उसपे इसलिए बैठता था ताकि तुमको सही से देख सकू । बहुत रिस्क था यदि मेरे किसी दोस्त को उस वक्त पता चल गया होता तो तुझे उसी दिन से तुझे भाभी बुलाना शरू कर देते ।

मैं छोटे शहर से आया था , लड़कियों से बात करना नहीँ जनता था । ना ही बहुत ज्यादा मन हुआ किसी और से बात करने का कभी , एक तुम ही थी जिसे देख कर मुझे कुछ एहसास हुआ था ।

पहली बार जब तुम मुझसे इकोनॉमिक्स कि नोट्स मांगी थी वो दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा अपनी ज़िंदगी में , तुम बोली थी   , तुम previous क्लास में आए थे क्या ?  मैं नहीँ आई थी , क्या तुम अपना कॉपी मुझे एक दिन केलिए दे सकते  हो ? मैंने कहाँ था हाँ , हाँ ले लो कोई नहीं कल दे देना ।

हमदोनो का बात करने का सिलसिला यहीं से शूरु हुआ था। पता है तुमको,  जब मेरे दोस्तों को पता चला हमारे बारे में तो वो सब बोला कि अबे साले तूने कैसे पटा लिया बे लड़की को तुझे तो बात भी नहीं करना आता हैं ठीक से लड़कियों से । बस हो गया , बस हो गया बोलता रहा मैं , तो उस होगया जो बोला था उस पर भी एक दोस्त ने बड़े लेवल का मज़ाक क्या था मुझसे मैंने  बस मुस्कुरा दिया था उसके बातों पे ।

कभी कभी मैं  सोचता हूँ कि मुझमें ऐसा क्या हैं कि तुम मुझे मिल गई । पता नहीं तुम ने मुझमे ऐसा क्या देखा था ।

वो जो तुम पहली बार मुझे अपना फोन नंबर दी थी याद हैं तुमको क्या कहा था तुमने मुझे ? और कंडीशन लगा दी थी कि कभी फोन मत करना , मेरा फोन नही है ये । घर का नंबर हैं ये , जब कोई नहीं रहेगा तब मैं फोन करूंगी ।

मैंने पूछा था कि तेरे पास अपना फोन नहीं है तो तेरा जवाब था कि 90 प्रेसेंट मार्क्स आएंगे तो पापा मुझे फोन देंगे ।

मैं तो उस दिन डर गया था और पूरी रात मुझे नींद नहीं आई थी । तुझे 90 प्रेसेंट लाने हैं तो मुझे भी तो इसके आसपास लाने पड़ेंगे ।

संजोग से तेरे 80 प्रेसेंट ही आ पाए थे और मेरे 78 प्रेसेंट । इज़्ज़त बच गया था मेरा । उसके बाद ढंग का कॉलेज नहीँ मिला था हमदोनो को DU में क्योंकि कॉमर्स की कट ऑफ के हिसाब से और अपनी जेनरल कैटोगरी के चलते कही Admission नहीँ हो पाया था ।  बाद  में तुमको मैंने कितनी मुश्किल से समझाया कि CA कर लेते हैं और तुम हाँ बोल दी थी लेकिन तेरे पापा को समझना मुश्किल था ।

तुमने इमोशनल ब्लैक मेल करके अपने पाप को मनाया था और हम दोनों CA केलिए रजिस्ट्रेशन करावा लिए ।

अब मई से नवंबर कर रहे हैं हमदोनो ।
तुझे तो थैंक यू बोलना चाहिए मुझे कि यदि कॉलेज से तुम पढ़ती तो तेरा कब का शादी करवा देते पापा । कम से कम फसी तो हुई हो CPT पास कर के ।

भगवान से बस इतना कहूँगा की हमदोनो का CA एक साथ खत्म हो , नहीँ तो तुमहारे पापा जुगाड़ में कहीं लग जाएंगे ।

( Love story of CA student's)

रवि आनंद

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Wednesday, 30 August 2017

जाते जाते !

मैं ये नहीं कहता की गलती तुम्हारी है
तुम भी अपनी मरजी के हो हम भी अपने सफ़र के है
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि मुझसे तुम बे-इंतिहा मोहोब्बत  करती थी

हो सकता है किस्मत की ना मंजूरी होगी
या तेरी कोई मजबूरी होगी
मान लेता हूँ सब बात , चलो तेरी कोई गलती नहीं
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि तुमने मुझे रब से नहीं मांगा
तुमने कोई कोशिश नहीं की मुझे पाने की

तुम्हें मुझसे बेहतर कोई मिल जाएगी
ये बोलने से पहले तुम
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि तुम्हें मुझसे बेहतर कोई मिल गया
तुम इसलिए मुझे छोड़ रही हो

कल से तुम नहीं होगे
ज़िन्दगी में बहुत उदासी होगी
तुम मेरी ज़िन्दगी हो , सांस कैसे लूँ तुझ बिन
तुम ही सांस हो मेरी
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि मुझसे तुम बे-इंतिहा मुहब्बत करती थी

रवि आनंद

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अब सब खैरियत है ...

तुम पूछ ही दिए हो की कैसे हो ?
तो सुनो अब सब खैरियत है

आओ पास बैठो जल्दी क्या है
अपना हाले दिल बतलाता हूँ

सुनो अब मैं गिर कर खुद सभंल जाता हूँ
ज़मीन पर हाथ रख कर खड़ा हो जाता हूँ

कोई आह तक कहने वाला नहीं है
और सिसक को समझना तो बहुत दूर की बात है

जब मुझे चोट लगती है तो मै खुद से सेहला लेता हूँ
दर्द तो कम नहीं होती पर दिल को बेहला लेता हूँ ।

रवि आनंद

Monday, 24 July 2017

ज़रूरी था !

* जो "पानी" सा ज़रूरी था
जिन्दा रहने केलिए
वो आँखों "पानी" की वजह बन गया

* जो "हवाओं" सा ज़रूरी था
सास लेने केलिए
वो "हवाओं" की तरह अपना रुख मोड़ लिया

* जो मेरा "सफ़र" था
   जो मेरा मंज़िल था
वो किसी और का "हमसफ़र" बन गया ।

रवि आनंद

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...