सर्दी है , रात है ,हवा भी तेज है
तुम सिमटी होगी किसी की बाहों में ये बात कुछ अजीब है
रात के एक बज रहे हैं तुम करवट बदल रही होगी
मेरी चाँद किसी के हथेली पे सर रख के सो रही होगी
रात अपने शबाब पे है
पुराना आशिक़ तेरा जाग रहा है
तुम्हारी यादों की गर्मी से वो ठंड को मात दे रहा है
घड़ी की सुई और सांस एक साथ चल रही है
सुबह की आस लगाए ये जिंदगी यूँ ही कट रही है
रवि आंनद
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