अधूरी सी मोहब्बत है
पूरा जज्बात है
वो दूर बहुत है मगर
फिर भी बहुत पास है
दिल तो टूटा है बेशक़
पर गम किसको है
इश्क़ का वसूल है ये
इंताजर आज भी है
दिल को तसल्ली इस बात में है
कि वो बस मेरा है
फिर दिल को बेबकुफ़ बनाने में क्या हर्ज है
अब तन्हाइयों में भी ये दिल तन्हा नहीं रहता है
शुक्रिया तेरा ,
अब ये अक्सर तुम हो जाता है अकेला नहीं रहता है
रवि आंनद