Friday, 14 September 2018

किसी के जन्मदिन के दिन हैप्पी बर्थडे की जगह जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं बोल के जन्मदिन की बधाई दें 😊

तुम मम्मी को माँ बुलाते हो ?
हां , मैं माँ को माँ ही बोलता हूं 😊

माँ , को मम्मी भले रिप्लेस कर रही हो पर जो सुकून हिन्दी में माँ बोलने में है वो मम्मी बोलने में शायद नहीं हैं । इस पर सब का अपना अपना मत हो सकता है।

हिन्दी भाषा में ममत्व (ममता) , मोह बहुत है जो अन्य भाषाओं में शायद ही इतना है। अब देखये माँ शब्द के उच्चारण मात्र में कितना भाव है , कितना प्रेम है , कितना लगाव है। माँ शब्द ही भावना है।

भारत माता की जय बोलने में जब कुछ विशेष लोगों को आपत्ति होती है तो मुझे बहुत पीड़ा महसूस होता है माता अर्थात माँ , हमारे गांव के किसान धरती को भी धरती माँ बुलाते है क्योंकि उनका रोजी रोटी पेट वही धरती रूपी माँ से भरती है इसलिए वो धरती को माँ बुलाते हैं। भारत हमारी जन्म भूमि है  , कर्म भूमि है इससे हमे लगाव है , मोह है इसलिए हम इसे मातृ ''माँ'' तुल्य मानते है। अब अपने जन्म भूमि को माँ बोलने में भला कोई धर्म को कैसे छति पहुँच सकती है ये सवाल मेरे मन में बार बार उठता है।

मैंने माध्यमिक स्तर की पढ़ाई हिन्दी माध्यम के विद्यालय से किया है , मुझे छुटपन के दिनों से हिन्दी लेखनी में रूचि रही है मैं जब विद्यालय में पढ़ता था तो उस समय अंग्रेजी पढ़ाने केलिए शिक्षक पहले हिन्दी का ही उपयोग करते थे जिसे ट्रांसलेट इंटो इंगलिश कहाँ जाता था अर्थात अनुबाद । इस विधि का उपयोग पहले से अब कम हुआ है।

भारत में खास कर के बड़े शहरों में लोगों को हिन्दी आते हुए भी हिन्दी बोलने में उन्हें संकोच होती है वो शर्माते हैं।
ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत में मनुष्य की बुद्धि का मापने का तरीका अंग्रेजी है ना की कोई और भाषा । इससे बड़ी शर्म की बात औऱ क्या हो सकती है इस देश केलिए । इस आजाद देश के बहुत सारे लोग बस स्व शरीर यहाँ हैं पर उनका आत्मा अभी भी पश्चिम की ओर ही लटकी हुई है। तन कहीं और मन कहीं ।

अंत में बस यही कहना चाहूंगा कि शुद्ध , अशुद्ध जो भी हो निसंकोच हिन्दी बोलें , लिखें ।

किसी के जन्मदिन के दिन हैप्पी बर्थडे की जगह जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं बोल कर जन्मदिन की बधाई दें , व्हाट्सएप संदेश में भी यही संदेश लिखें ... ये बोलने में हैप्पी बर्थडे की तरह औपचारिकता नज़र नहीं आती है बल्की प्यार , आशीर्वाद और शुभकामनाएं नज़र आती है।

मैं हिन्दी खूब अशुद्ध लिखता हूँ , बोलता हूँ और आज मैं अशुद्ध लिखने केलिए माफी नहीं मानूंगा 😊😊😊😊

रवि आनंद

Wednesday, 5 September 2018

उसके बिना उसका कोई सफ़र मुकम्मल नहीं है | इनबॉक्स यादें | लघुकथा

नाव के माफ़िक आँखो की दोनो पुतलियां नोर से तैर रही हैं
वो पुकार रही है चिल्ला रही है खामोशी से
वो जो बोल रही है बस वो सुन रही है और उसकी खामोशी उसे सुन रही है ।

चलने की तो वो कोशिश तो कर रही है पर उसके बिना उसका कोई सफ़र मुकम्मल नहीं है चल तो रही है पर वो उसके बिना पहुंच नहीं रही है ।

भूलने की कोशिश में वो उसे बहुत करीब पा रही है , भूलने की कोशिश तो वो बहुत खूब कर रही है पर कामयाबी उसे मिल नहीं रही है ।

नफ़रत की गुंजाइश शायद वो शख्श ने कुछ छोड़ा नहीं है , लगता है
चाह कर भी कोई कैसे नफ़रत करे कोई किसे ?
इश्क़ क़ामिल हो तो बदन का एक होना जरूरी नहीं है , वो अपने आप से ये केह रही है दिल को बहला रही है।

रवि आनंद

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...