Wednesday, 30 August 2017

जाते जाते !

मैं ये नहीं कहता की गलती तुम्हारी है
तुम भी अपनी मरजी के हो हम भी अपने सफ़र के है
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि मुझसे तुम बे-इंतिहा मोहोब्बत  करती थी

हो सकता है किस्मत की ना मंजूरी होगी
या तेरी कोई मजबूरी होगी
मान लेता हूँ सब बात , चलो तेरी कोई गलती नहीं
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि तुमने मुझे रब से नहीं मांगा
तुमने कोई कोशिश नहीं की मुझे पाने की

तुम्हें मुझसे बेहतर कोई मिल जाएगी
ये बोलने से पहले तुम
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि तुम्हें मुझसे बेहतर कोई मिल गया
तुम इसलिए मुझे छोड़ रही हो

कल से तुम नहीं होगे
ज़िन्दगी में बहुत उदासी होगी
तुम मेरी ज़िन्दगी हो , सांस कैसे लूँ तुझ बिन
तुम ही सांस हो मेरी
बस तुम एक लफ्ज़ जाते जाते खर्च कर के जाओ
झुठा ही सही पर बोल के जाओ
कि मुझसे तुम बे-इंतिहा मुहब्बत करती थी

रवि आनंद

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अब सब खैरियत है ...

तुम पूछ ही दिए हो की कैसे हो ?
तो सुनो अब सब खैरियत है

आओ पास बैठो जल्दी क्या है
अपना हाले दिल बतलाता हूँ

सुनो अब मैं गिर कर खुद सभंल जाता हूँ
ज़मीन पर हाथ रख कर खड़ा हो जाता हूँ

कोई आह तक कहने वाला नहीं है
और सिसक को समझना तो बहुत दूर की बात है

जब मुझे चोट लगती है तो मै खुद से सेहला लेता हूँ
दर्द तो कम नहीं होती पर दिल को बेहला लेता हूँ ।

रवि आनंद

पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...