Saturday, 29 April 2017

दिल्ली मेट्रो ।

यार मेट्रो तुमको मैं कैसे थैंक यू कहूँ मेरे पास शब्द नही है...तुम्हारे लिए हर तारीफ़ कम हैं , तुम लाजवाब हो .. एकदम हसीन हो वैसे ही जैसे दिल्ली वाली हसीन होती हैं... इतनी सुंदर हो कभी ज्यादा लेट नही होती हो और सबसे खास बात ये हैं तुझमे कि जरा सा भी attitude नहीं आई कभी ।

कितनी भीड़ को सहन करती हो 6 बजे से 11 बजे तक चलती रहती हो बिना थके और हारे ।

जब तुम चलती हो तो लोग तुम्हे ऑफिस जाने से लेकर इश्क़ लड़ाने केलिए तक इस्तेमाल करते हैं।
जितनी तुम खूबसूरत हो उतने ही बहुत बड़े दिल वाली भी हो , यदी आज मेट्रो का स्टेशन नही होता तो मेरे जैसे ना जाने कितने लोग दिल्ली में कहाँ भटकते । 

यदी आज राजीव चौक पर से तुम नही गुजरती तो लोग क्लास और ऑफिस जाने के बहाने सीसीडी में डेट पर कॉफी पीने कैसे आते ।

लक्ष्मीनगर नगर से इतने ca ,cs ,cwa ,banking के बच्चे पास होकर निकलते हैं यदी तुम उधर से नही गुजरती तो ना जाने वो बच्चे कहाँ बैठ कर revision करते  , उनके लिए तुम्हरा स्टेशन ही बस एक सहारा है।
तुम ने सब का समय ही नही बहुत कुछ बचाया है।

शब्द नहीं हैं मेरे पास तुम्हे थैंक यू कहने केलिए पर इतना कहूँगा मुझे तुम से इश्क़ है।:) 

#DelhiMetro 
Ravi Anand

Wednesday, 26 April 2017

Inbox Yaaden Story 1 ! इश्क़ बस एक एहसास ।

जज्बातों को समेट कर एक पन्ने पर लिख कर लाया हूँ
पोस्ट कर दू या ना करू सोच में पड़ा हूँ
अपने आप से गुफ़्तगू कर रहा हूँ
सवालो की वारिश हो रही है मन मे ..पर कम्वख्त उसका खयाल पीछा नही छोड़ता ।
रिस्क है यदि कोई और पढ़ ले तो
छोरो नही करना ये सब ।

ऐसा क्यों होता है जब दो लोग बे इन्तहां मोहब्बत करते हैं  एक दूसरे को तो भगवान धोका दे देते हैं  ।
क्या बिगाड़ा था आपका मैने भगवान ।

(हर्ष अपने आप से कहता है और पोस्ट ऑफिस से घर वापस चला आता है। )

माँ माँ नही हो क्या ?
हां यही हु क्या हुआ बताओ तो ,
 कुछ नही बाहर धूप बहुत है
हाँ तो पानी कुछ देर बाद पीना सर्दी हो जाएगी.... आते ही पानी पीने लगते हो ....ऐसे मौसम में सर्द गर्म हो जाता है

और किसने कहाँ था इतनी धूप में बिना मतलब के बाहर जाने केलिए
अरे माँ तुम तो एक बार मे ही कितनी सावल करने लगती हो ..
यही तो गया था
कहाँ ? अरे बाहर गया था कॉपी लानी थी ।

( हर्ष झूठ पर से झूठ बोल रहा है वास्तविकता तो कुछ और ही थी जो वो किसी और से बता नही सकता था )

'' दिल मे कुछ बात ऐसी दबती है और उसको बहुत दिनों के बाद बाहर निकालो तो आंखों से बूंदा बांदी अपने आप शुरू हो जाती है''

सर दर्द करने लगता है...
ऎसा दर्द जो vicks लगाने से कहाँ छूटता ।

दिल का दर्द है। दिमाग का थोड़ी है।
हर्ष तुम आज ट्यूशन नही जाओगे क्या ?
हां पाप जाऊंगा , देखते है

अरे देखते क्या है ? स्कूल में नही हो तुम अब कॉलेज में चले गए हो वो भी science ले लिए हो शुरु से ही ध्यान देना पड़ेगा , फाकी मत मारो अभी से ।

तुम्हारे सर से मैने बात क्या है तुमपे थोड़ा ज्यादा ध्यान दे ।
 हर्ष - हां ठीक है पापा ।

(अब पापा को कौन समझाए की जिसके साथ मेरी केमेस्ट्री जम चुकी थी वो ही नही है अब तो ट्यूशन जा कर के क्या करूँगा।)

"फीलिंग्स का रिएक्शन बहुत फ़ास्ट होता है सब कैमिकल फैल है इसके सामने ''

इसका इन्फेक्शन एक बार लग गया तो कभी भी शरीर से जाता नही है । कैंसर का केमो थरेपी होता है इसका भी हो जाता तो कितना अच्छा होता एक शॉक लगाने से सारी फीलिंग्स जल जाती और  ताउम्र केलिए छुटकारा मिल जाता ।

हर्ष - मैं साइंस ले कर फस चुका हूँ  फालतू में ले लिया 62% मार्क्स कैसे आया टेंथ मे मैं जानता हूँ ।

मुझे क्या पता था कि उसको ज्यादा नंबर आजाएगा और वो दूसरे शहर चली जयेगी पढ़ने केलिए ।
हिटलर हैं उसका बाप भेज दिया शहर ,कुछ भनक भी नही लगा ।

 तनु भी हद निकली बताई भी नही कुछ ,एक बार बताई थी पेपर से पहले ऐसे ही , पर मुझे तो मज़ाक लगा था ।
सच मे चली गई , लड़की की बातों को कभी casually नही लेनी चाहिए
अब पता चल रहा है मुझे ।

हर्ष टूट सा चुका था कहाँ ।

तनु की यादें उसे अंदर ही अंदर खोखला बना रहा था ,
अब की तरह कहाँ पहले सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्स एप्प था ,
फिर भी लोग  मोहब्बत करते थे ।

महसूस करना ही किसी को तो मोहब्बत है

हर्ष की एहसासों की दीवानी थी तनु
दूर बहुत थी फिर भी बहुत पास थी तनु
प्रेम को कौन परिभाषित कर सकता है ? कोई नही ।
वो गीत याद आता है मुझे गुलज़ार साहब का लिखा था , लाता जी ने गाई थी । खामोशी नाम था सिनेमा का ..

हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो सिर्फ़ एहसास है ये रूह से एहसास करो प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो....

प्यार का नाम क्या है ?  कुछ नही बस  किसी का एहसास....

किसी का एहसास हो जाये और रूह उसे महसूस कर ले उसको , यही तो प्यार है..
सम्बन्ध खून का कहाँ  होता है बस एहसास का ही तो होता है 
                                                                 
रवि आनंद ।

Thursday, 1 December 2016

माँ मेरी

सिसकती आह को समझ ले वो खामोशियों में भी मेरी
 देख कर आँखों को वो समझ ले वो आशुओ को भी मेरी 
लफ्जों की औकात कुछ नहीँ  खामोशियों के आगे
ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी 

जिसको पता हैं मेरा स्वाद क्या हैं
जिसको पता हैं मेरी जरूरतें क्या हैं
जिसको मेरे छीकने भर से डर लगने लगती हैं
जिसको मेरी लाखों गलतीयां बस एक बचपना लगती हैं
मैं क्या हूँ वास्तव में ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी 

मुझे कुछ दिलाना हो तो वो पापा को नाती हैं
समझाती हैं वो उन्हें कि मेरी ज़रूरतें क्या हैं
चाहे लेनी हो फ़ोन चाहे कपड़े
मेरी माँ पापा से मेरा सारी बिल पास करवाती हैं

 फ़ोन पे बोल लूँ मैं  झूठ , कि ठीक हूँ मैं
आवाज़ सही करने का नाटक करने लगू मैं 
आवाज़ की आहट भर से वो समझ जाती हैं 
पता नहीं वो कैसे मेरी तकलीफ को
फिर डांट कर पूछती हैं दावा खाया की नहीँ तू 

लफ्जों की औकात कुछ नहीँ  खामोशियों के आगे
ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी...... 

Saturday, 15 October 2016

तू चीनी कि तरह मीठी.....

तू चीनी कि तरह मीठी मैं तेरा पानी बन जाऊँ
घुल जा मुझ मे तू ऐसे कि मैं शरबत बन जाऊँ

दिखे नहीं कही तू बस मुझ में रहे  तू
घुल कर मिल कर बस मुझ में समा कर

छोड़ दे कुछ देर और तू खुद को मुझ  में
जरा भींगने दे खुद को और मुझ में

घुलने दे और , समाने  दे और ,मिल जाने दे खुद को और मुझ में 

के तू कहीं दिखे ना किसी नजरों से
बस मुझ में रेह जरा गाढ़ा बन कर
                                                                                                    
लग रहा हैं किसी ने रंग डाल दिया मुझ में
हूँ तो पानी मैं, बदल लिया अपना रूप मैं

देखने से क्या फ़र्क़ पड़ता है , लग रहा हूँ सुंदर मैं
पर तुझ बिन क्या हूँ मैं
फीकी फीकी सी बस रंग से सुंदर......



पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...