लगता है आज उससे रूठा हुआ हूँ मैं
उसकी यादें तो आ रही है ,
पर ना जाने क्यों मुझे उसकी यादों में कोई ख़लल सी महसूस हो रही है। ऐसा लग रहा है, कोई पीछे से टोक रहा हो मुझे , पर पीछे तो कोई है ही नहीं ।
ये इल्म जो हो रहा है मुझे , ये कहीं कोई इत्तिला तो नहीं कि उसे किसी और से इश्क़ तो नहीं हो गया ।
ये सवाल कितना जायज है या नहीं , मुझे खुद से पूछना चाहिए , मैं पूछ तो रहा हूँ पर कोई मुकम्मल जबाब नहीं मिल पा रहा है मुझे । खुद के सवालों का जबाब क्यों नहीं होता है हमारे पास ।
ऐसा लगता है ज़िन्दगी सवालों में है और इस सावल का ज़बाब कोई इंसान है जो खो सा गया है और वो मुझे मिल नहीं रहा कहीं , उससे मुझे बहुत से सावल पूछने है।
रवि आनंद