Friday, 1 September 2017

मई से नवंबर कर रहे हैं हम दोनों......( सीए स्टूडेंट की प्रेम कहानी )| लघुकथा

वो जो तुम बाल को खोल लेती  हो अचानक से
बांधने केलिए ,

जब बाल तुम्हारे मुँह पर आ जाती  है
जब तुम उसको समेट के कान के पास रख देती हो ,
मुझे वो बहुत अच्छा लगता है ।
बताया नहीँ कभी  तुमको पर प्यार मुझे तेरी इसी अदा पर आया था ।

स्कूल बस में तुम खिड़की के साइड वाली शीट पर बैठती थी तुम मुँह बाहर किये पता नहीं क्या देखती रहती थी , तेरे बाल हवा में उड़ते रहते थे । मैं ड्राइवर के पास में जो शीट होता है उसपे इसलिए बैठता था ताकि तुमको सही से देख सकू । बहुत रिस्क था यदि मेरे किसी दोस्त को उस वक्त पता चल गया होता तो तुझे उसी दिन से तुझे भाभी बुलाना शरू कर देते ।

मैं छोटे शहर से आया था , लड़कियों से बात करना नहीँ जनता था । ना ही बहुत ज्यादा मन हुआ किसी और से बात करने का कभी , एक तुम ही थी जिसे देख कर मुझे कुछ एहसास हुआ था ।

पहली बार जब तुम मुझसे इकोनॉमिक्स कि नोट्स मांगी थी वो दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा अपनी ज़िंदगी में , तुम बोली थी   , तुम previous क्लास में आए थे क्या ?  मैं नहीँ आई थी , क्या तुम अपना कॉपी मुझे एक दिन केलिए दे सकते  हो ? मैंने कहाँ था हाँ , हाँ ले लो कोई नहीं कल दे देना ।

हमदोनो का बात करने का सिलसिला यहीं से शूरु हुआ था। पता है तुमको,  जब मेरे दोस्तों को पता चला हमारे बारे में तो वो सब बोला कि अबे साले तूने कैसे पटा लिया बे लड़की को तुझे तो बात भी नहीं करना आता हैं ठीक से लड़कियों से । बस हो गया , बस हो गया बोलता रहा मैं , तो उस होगया जो बोला था उस पर भी एक दोस्त ने बड़े लेवल का मज़ाक क्या था मुझसे मैंने  बस मुस्कुरा दिया था उसके बातों पे ।

कभी कभी मैं  सोचता हूँ कि मुझमें ऐसा क्या हैं कि तुम मुझे मिल गई । पता नहीं तुम ने मुझमे ऐसा क्या देखा था ।

वो जो तुम पहली बार मुझे अपना फोन नंबर दी थी याद हैं तुमको क्या कहा था तुमने मुझे ? और कंडीशन लगा दी थी कि कभी फोन मत करना , मेरा फोन नही है ये । घर का नंबर हैं ये , जब कोई नहीं रहेगा तब मैं फोन करूंगी ।

मैंने पूछा था कि तेरे पास अपना फोन नहीं है तो तेरा जवाब था कि 90 प्रेसेंट मार्क्स आएंगे तो पापा मुझे फोन देंगे ।

मैं तो उस दिन डर गया था और पूरी रात मुझे नींद नहीं आई थी । तुझे 90 प्रेसेंट लाने हैं तो मुझे भी तो इसके आसपास लाने पड़ेंगे ।

संजोग से तेरे 80 प्रेसेंट ही आ पाए थे और मेरे 78 प्रेसेंट । इज़्ज़त बच गया था मेरा । उसके बाद ढंग का कॉलेज नहीँ मिला था हमदोनो को DU में क्योंकि कॉमर्स की कट ऑफ के हिसाब से और अपनी जेनरल कैटोगरी के चलते कही Admission नहीँ हो पाया था ।  बाद  में तुमको मैंने कितनी मुश्किल से समझाया कि CA कर लेते हैं और तुम हाँ बोल दी थी लेकिन तेरे पापा को समझना मुश्किल था ।

तुमने इमोशनल ब्लैक मेल करके अपने पाप को मनाया था और हम दोनों CA केलिए रजिस्ट्रेशन करावा लिए ।

अब मई से नवंबर कर रहे हैं हमदोनो ।
तुझे तो थैंक यू बोलना चाहिए मुझे कि यदि कॉलेज से तुम पढ़ती तो तेरा कब का शादी करवा देते पापा । कम से कम फसी तो हुई हो CPT पास कर के ।

भगवान से बस इतना कहूँगा की हमदोनो का CA एक साथ खत्म हो , नहीँ तो तुमहारे पापा जुगाड़ में कहीं लग जाएंगे ।

( Love story of CA student's)

रवि आनंद

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