Wednesday, 21 June 2017

इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती ।

इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती
यादों से कभी जुदाई नहीं मिलती

गिरफ्त में दिल है आज भी उसके
जो मुझे छोड़ कर चला गया
ए खुदा तुझे जुदाई भी देनी नहीं आती

मुसलसल मुलाकात होती हैं  रोज रोज
 ऐसा क्यूँ लगता है मुझे
वो ख्वाबों में आना भी बंद नही करती

इंतिज़ार आज भी हैं कि वो लौट कर आएगी
उम्मीद के दिये कभी इश्क़ में नहीं बुझती

इश्क़ में कभी रिहाई नहीं मिलती ।

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