तू चीनी कि तरह मीठी
मैं तेरा पानी बन जाऊँ
घुल जा मुझ मे तू ऐसे
कि मैं शरबत बन जाऊँ
दिखे नहीं कही तू बस
मुझ में रहे तू
घुल कर मिल कर बस मुझ
में समा कर
छोड़ दे कुछ देर और
तू खुद को मुझ में
जरा भींगने दे खुद
को और मुझ में
घुलने दे और , समाने
दे और ,मिल जाने दे खुद को और मुझ में
के तू कहीं दिखे ना
किसी नजरों से
बस मुझ में रेह जरा
गाढ़ा बन कर
लग रहा हैं किसी ने
रंग डाल दिया मुझ में
हूँ तो पानी मैं, बदल
लिया अपना रूप मैं
देखने से क्या फ़र्क़
पड़ता है , लग रहा हूँ सुंदर मैं
पर तुझ बिन क्या हूँ
मैं
फीकी फीकी सी बस रंग
से सुंदर......