Thursday, 1 December 2016

माँ मेरी

सिसकती आह को समझ ले वो खामोशियों में भी मेरी
 देख कर आँखों को वो समझ ले वो आशुओ को भी मेरी 
लफ्जों की औकात कुछ नहीँ  खामोशियों के आगे
ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी 

जिसको पता हैं मेरा स्वाद क्या हैं
जिसको पता हैं मेरी जरूरतें क्या हैं
जिसको मेरे छीकने भर से डर लगने लगती हैं
जिसको मेरी लाखों गलतीयां बस एक बचपना लगती हैं
मैं क्या हूँ वास्तव में ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी 

मुझे कुछ दिलाना हो तो वो पापा को नाती हैं
समझाती हैं वो उन्हें कि मेरी ज़रूरतें क्या हैं
चाहे लेनी हो फ़ोन चाहे कपड़े
मेरी माँ पापा से मेरा सारी बिल पास करवाती हैं

 फ़ोन पे बोल लूँ मैं  झूठ , कि ठीक हूँ मैं
आवाज़ सही करने का नाटक करने लगू मैं 
आवाज़ की आहट भर से वो समझ जाती हैं 
पता नहीं वो कैसे मेरी तकलीफ को
फिर डांट कर पूछती हैं दावा खाया की नहीँ तू 

लफ्जों की औकात कुछ नहीँ  खामोशियों के आगे
ये बात सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं माँ मेरी...... 

Saturday, 15 October 2016

तू चीनी कि तरह मीठी.....

तू चीनी कि तरह मीठी मैं तेरा पानी बन जाऊँ
घुल जा मुझ मे तू ऐसे कि मैं शरबत बन जाऊँ

दिखे नहीं कही तू बस मुझ में रहे  तू
घुल कर मिल कर बस मुझ में समा कर

छोड़ दे कुछ देर और तू खुद को मुझ  में
जरा भींगने दे खुद को और मुझ में

घुलने दे और , समाने  दे और ,मिल जाने दे खुद को और मुझ में 

के तू कहीं दिखे ना किसी नजरों से
बस मुझ में रेह जरा गाढ़ा बन कर
                                                                                                    
लग रहा हैं किसी ने रंग डाल दिया मुझ में
हूँ तो पानी मैं, बदल लिया अपना रूप मैं

देखने से क्या फ़र्क़ पड़ता है , लग रहा हूँ सुंदर मैं
पर तुझ बिन क्या हूँ मैं
फीकी फीकी सी बस रंग से सुंदर......



पहले सिद्ध करो बे !

भारत में हम अभी ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ तब तक किसी भी चीज को सत्य नहीं मानी जायेगी जब तक आप उस चीज को सिद्ध ना कर दें । चाहे वो बात राष्...